Banswara पातेला तालाब में 30 प्रवासी पक्षी प्रजातियों की अटखेलियां

पातेला व कूपड़ा पर इनका डेरा
तलवाड़ा तथा कूपड़ा तालाब में ब्लैक बैक्ड गल, यूरेशियन विजन, कॉमन पोचार्ड, व्हिस्कर्ड टर्न, नॉर्दन पिनटेल, मार्श सेण्ड पाइपर, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, केन्टिश प्लॉवर, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, पेन्टेड स्टॉर्क, रिवर टर्न, लिटल कारमोरेन्ट, डार्टर, हेरन, कोम्ब डक तथा इग्रेट प्रजातियों के परिन्दे देखे गए।
छिछले पानी में किलोल
पर्यावरणप्रेमियों ने बताया कि सरोवर लबालब भरा हुआ है। तालाब पर पक्षियों की अटखेलियां यहां की सुंदरता में चार चांद लगा रही हैं। गहरे सरोवर की अपेक्षा छिछले एवं फैले हुए जलाशय में प्रवासी पक्षियों की संख्या अधिक दिखाई दे रही है। इनकी किलोल का मधुर संगीत आनंदित करता है। यहां आने वाले लोग सुबह-शाम पंछियों के दीदार का लुत्फ उठा रहे हैं।
ये पक्षी भी कर रहे आनंदित
पेंडल लेजर व्हीलर (काले-सफेद टेढ़ी चोंच वाला पक्षी), अल्टरनेटील (आर्कटिक टर्न/ध्रुवीय गंगा चिल्ली), पोछाड़ (सामान्य सारस/कुरजां), सत्रा (सारस क्रेन/सबसे ऊंचा उडऩे वाला पक्षी), विजन (यूरेशियन विजन/लाल सिर वाली बतख), गेटनॉक (छोटी प्रवासी बतख) जैसे विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा हुआ है।तलवाड़ा व कूपड़ा तालाब में 30 से अधिक प्रजातियां देखी जा सकती हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने व बर्ड वॉचिंग के लिए मचान जैसी सुविधा विकसित की जा सकती है। तालाब के आसपास जरूरी सफाई भी की जानी चाहिए, ताकि पाल से भी लोग पक्षियों को निहारते रहें। गंगा कुंड के चारों ओर रैलिंग लगाई जा सकती है। यह कुंड बहुत ही प्राचीन है। यह तालाब से सटा हुआ है। तालाब में सारस का एक जोड़ा भी देखा गया है, जो आकर्षित कर रहा है।