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बांसवाड़ा के छोटे किसान मजदूर से मालिक बने, सब्जी और फूल उगाकर बढ़ाई आय

 
बांसवाड़ा के छोटे किसान मजदूर से मालिक बने, सब्जी और फूल उगाकर बढ़ाई आय

जिले के 18 गांवों के छोटे जोत के किसान अब मजदूरी करने की बजाय खुद के मालिक बन गए हैं। उन्होंने मिर्च, टमाटर, गेंदा जैसी सब्जियां और फूल उगाकर अपनी आय दोगुनी से अधिक बढ़ा ली है। पहले ये किसान गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मजदूरी करने जाते थे, लेकिन अब अपने गांव में ही खेती करके परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि पहले सीमित भूमि और साधनों के कारण उन्हें रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता था। अब आधुनिक कृषि तकनीकों, बेहतर बीज और समय पर प्रशिक्षण के चलते उन्होंने अपनी छोटी जोत को अधिक उत्पादक बनाया है। उगाई गई सब्जियों और फूलों की पैदावार ने उनकी आमदनी बढ़ाई है और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है।

विशेष रूप से मिर्च और टमाटर जैसी सब्जियां बाजार में उच्च कीमत पर बिक रही हैं। वहीं, गेंदा और अन्य फूलों की खेती ने अतिरिक्त आय का जरिया प्रदान किया है। स्थानीय कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है और छोटे जोत वाले किसान यदि आधुनिक तकनीक अपनाएं तो आर्थिक स्थिति में सुधार संभव है।

किसानों ने बताया कि अब वे अपने बच्चों को भी पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। पहले मजदूरी में व्यस्त रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी, लेकिन अब वे गांव में ही खेती करके बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं।

सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा दी गई प्रशिक्षण कक्षाओं और कृषि सामग्री ने भी इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है। किसानों ने बताया कि उर्वरक, बीज और सिंचाई के बेहतर विकल्प मिलने से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, समूह में काम करने से विपणन और बिक्री भी आसान हो गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे जोत वाले किसानों का यह अनुभव अन्य जिलों के लिए मॉडल बन सकता है। यदि ग्रामीण किसान सही मार्गदर्शन और संसाधन प्राप्त करें, तो मजदूरी पर निर्भरता घट सकती है और कृषि से आय बढ़ाई जा सकती है।

गौरतलब है कि बांसवाड़ा के ये 18 गांव अब छोटे किसानों की सफलता का उदाहरण बन गए हैं। मजदूरी छोड़कर आत्मनिर्भर बनने की इस पहल ने न केवल उनके जीवन स्तर को सुधारा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव डाला है।