राजस्थान का 100 टापुओं वाला शहर लेकिन बूंद-बूंद के लिए तरसते लोग, नदी-तालाब के सूखने पर पलायन के लिए मजबूर लोग
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले को सौ टापुओं का शहर कहा जाता है, लेकिन अब गर्मी के मौसम में यहां पानी की भारी कमी हो गई है। कभी बारिश और सर्दी में पर्यटकों को आकर्षित करने वाला यह शहर अब सूखे तालाबों और घटते जलस्तर के कारण संकट में है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई के पानी की कमी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
माही बैक वाटर क्षेत्र में घटा जलस्तर
बढ़ती गर्मी के साथ ही बांसवाड़ा के चाचाकोटा, कड़ेलिया और अन्य माही बैक वाटर क्षेत्रों में नदी, नालों और तालाबों का जलस्तर तेजी से गिर रहा है। तहसील आबापुरा के खेड़ा गांव में तो हालात इतने खराब हैं कि लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। चाचाकोटा गेमन ब्रिज जैसी जगहों पर पानी सूख जाने से किसान खेती करने को मजबूर हैं।
पर्यटन भी हो रहा प्रभावित
गर्मी में बांसवाड़ा की खूबसूरती फीकी पड़ रही है। कभी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले माही बैक वाटर के टापू जलस्तर घटने से सूख रहे हैं। पर्यटकों की संख्या कम हो गई है और हरियाली भी गायब हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसात और सर्दी में स्वर्ग जैसा दिखने वाला बांसवाड़ा गर्मियों में पानी की कमी से जूझता है।
पलायन मजबूरी बन रहा है
पानी की कमी ने आबापुरा, छोटी सरवन और कुशलगढ़ जैसे इलाकों से लोगों को पलायन करने पर मजबूर कर दिया है। मवेशियों के चारे और सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से ग्रामीण गुजरात और दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। खेड़ा गांव के लोगों का कहना है, "पानी की कमी ने हमें घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया।"
योजना अधूरी, उम्मीदें टूटीं
सरकार ने आबापुरा के 19 गांवों में माही बैक वाटर से सिंचाई के लिए पानी लाने की योजना शुरू की थी, लेकिन दो साल बाद भी यह पूरी नहीं हो पाई है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद योजना का उद्घाटन नहीं होने से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। क्या सरकार इस संकट का समाधान कर पाएगी? यह सवाल बांसवाड़ा के लोगों के मन में कौंध रहा है।
