राजस्थान में गरमाई राजनीति! ‘भील प्रदेश’ की मांग रखने वाले सांसद का राजेन्द्र राठौड़ पर पलटवार, बोले - आपने अटल जी का भी अपमान किया...."
पृथक भील राज्य की मांग करने वाले सांसद राजकुमार रोत ने भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ के बयान पर कहा कि आप सात बार राजस्थान विधानसभा के सदस्य और विपक्ष के नेता रहे हैं। आप संसदीय प्रक्रियाओं के विशेषज्ञ हैं, जिसका अनुभव मैंने 15वीं विधानसभा में अपने कार्यकाल के दौरान किया है। सदन की कार्यवाही के दौरान आप तुरंत एक किताब लेकर खड़े हो जाते थे और विधानसभा की कार्यप्रणाली व कार्य-नियमों का हवाला देते थे। मुझे भील राज्य की मांग को लेकर इतने विद्वान राजनेता से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी।
"नंदलाल मीणा जी का भी अपमान किया गया"
राजकुमार रोत ने आगे लिखा, "मुझे आपके द्वारा प्रयुक्त 'राजद्रोह' सहित विभिन्न असंसदीय शब्दों पर कड़ी आपत्ति है। इन शब्दों का प्रयोग करके आपने झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड बनाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ हमारे देश के कई महान नेताओं का अपमान किया है। आपने वर्तमान राजस्व मंत्री और अपने साथी कैबिनेट मंत्री आदरणीय नंदलाल मीणा जी के पिता का भी अपमान किया है, जिन्होंने भील राज्य निर्माण की मांग का पुरजोर समर्थन किया था।" संविधान में नए राज्यों के निर्माण का प्रावधान
सांसद रोत ने आगे कहा, "मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि नए राज्यों के निर्माण और पुनर्गठन के प्रावधान भारत के संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लिखित हैं। स्वतंत्र भारत में विभिन्न आधारों पर कई नए राज्यों का गठन हुआ है। भील प्रदेश भी एक राज्य बनने के लिए विभिन्न मानदंडों को पूरा करता है, जैसे भाषाई-सांस्कृतिक-भौगोलिक एकरूपता, संसाधनों का असमान वितरण और आर्थिक विकास की आवश्यकता।"
"नए राज्यों के गठन के इतिहास का अध्ययन करें"
उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वजों ने 1913 में गोविंद गुरु के नेतृत्व में एक अलग भील राज्य की स्थापना का सपना देखा था, जो लोकतांत्रिक तरीके से अवश्य साकार होगा। अंत में, मेरा आपसे विशेष अनुरोध है कि आप जैसे संसदीय प्रणाली के विद्वान राजनेता को इस तरह के तथ्यहीन, अतार्किक और भ्रामक बयान शोभा नहीं देते। आपको देश के संविधान में नए राज्यों के गठन और पुनर्गठन से संबंधित प्रावधानों और स्वतंत्र भारत में नए राज्यों के गठन के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए और उसके बाद भील प्रदेश के गठन के संबंध में अपना तथ्यात्मक और तार्किक पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।" उन्होंने आगे लिखा, "भील प्रदेश हमारे पूर्वजों का संकल्प है, यह सत्य है और यह हमारा अधिकार है, जिसे हम लोकतांत्रिक तरीके से प्राप्त करेंगे।" या जोहार, जय संविधान, जय भील प्रदेश।
