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एक या दो नहीं राजस्थान के इस जिले में 52 ट्रकों में हो रही थी गौ-तस्करी, सांसद राजकुमार रोत ने सरकार पर लगाया बड़ा आरोप

 
एक या दो  नहीं राजस्थान के इस जिले में 52 ट्रकों में हो रही थी गौ-तस्करी,  सांसद राजकुमार रोत ने सरकार पर लगाया बड़ा आरोप 

रविवार देर रात बांसवाड़ा से 50 से अधिक ट्रकों में भरकर मध्य प्रदेश जा रहे मवेशियों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सांसद राजकुमार रोत ने राजस्थान सरकार पर मिलीभगत से गौ तस्करी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि गौ माता के नाम पर वोट मांगकर सत्ता में आई भाजपा सरकार खुद पुलिस काफिले के सहारे गौ तस्करी करवा रही है। सांसद रोत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस्तीफे की मांग की है और मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने की मांग की है।

मप्र सीमा पर रोके गए ट्रक
दरअसल बांसवाड़ा जिले से देर रात गौवंश से भरे 52 ट्रकों को मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश करने से रोक दिया गया। कथित गौरक्षकों का एक समूह पहले से ही इन वाहनों का पीछा कर रहा था। मप्र प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने पर गौरक्षकों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने राजस्थान पुलिस पर गौ तस्करों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने गौरक्षकों को वहां से खदेड़ दिया। बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने गौ तस्करी में सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश सीमा पर 52 ट्रकों में पुलिस की मदद से की जा रही गौ तस्करी को स्थानीय लोगों और गौशाला कर्मियों ने रोका। उन्होंने कहा कि जब मैं मौके पर पहुंचा तो पता चला कि इन गायों को मंडला और खरगोन के किसानों के नाम पर खरीद के फर्जी दस्तावेजों के साथ बलदेव मैला मेड़ता सिटी नागौर से महाराष्ट्र के बूचड़खानों में ले जाया जा रहा था। गौ तस्करों के पास देशी पिस्तौल, धारदार हथियार और मिर्च पाउडर भी मिला। वहीं पशुओं को लेकर आ रहे चालकों ने बताया कि पशुपालक नागौर के मेड़ता में आयोजित पशु मेले से अपने पशुओं को लेकर लौट रहे हैं।

पशु मेले से लौट रहे थे पशु
गौरक्षकों को गौ तस्करी का शक हुआ और उन्होंने जिले में जगह-जगह वाहनों को रुकवाया। उन्होंने ट्रकों में ठूंसकर गायों को भरे जाने का विरोध किया। विरोध को देखते हुए जिले के संबंधित थानों की पुलिस टीमों ने वाहनों को एस्कॉर्ट कर मध्य प्रदेश की सीमा पर छोड़ दिया।गौरक्षकों ने पुलिस के सामने विरोध भी जताया, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी और वाहनों को मध्य प्रदेश की ओर भगा दिया। जैसे ही वाहनों ने मध्य प्रदेश में प्रवेश करने की कोशिश की, तो वहां के अधिकारियों ने अनुमति न होने का हवाला देकर उन वाहनों को प्रवेश नहीं करने दिया। जिस पर स्थानीय प्रशासन ने सभी पशुओं को विभिन्न गौशालाओं में रखवा दिया है।

पुलिस एस्कॉर्ट पर प्रशासन ने क्या कहा?
प्रशासन के मुताबिक पशुपालक ने बताया कि 15 दिवसीय बलदेव पशु मेला चल रहा था। 12 अप्रैल को इसका समापन हो गया। ऐसे में पशुपालक अपने पशुओं को राजस्थान से मध्य प्रदेश में आयोजित दूसरे पशु मेले में ले जा रहे थे। पुलिस के मुताबिक इन पशुओं को ले जाने के दौरान रास्ते में कोई विरोध या अप्रिय घटना न हो, इसके लिए सुरक्षा मुहैया कराई गई थी।

एसपी हर्षवर्धन अग्रवाल ने बताया कि रविवार रात करीब 3 बजे जब वे एमपी सीमा पर पहुंचे तो वहां के एसडीएम और पुलिस अधिकारी सीमा पर थे। उन्होंने ट्रकों को अंदर नहीं जाने दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार के ऐसे कोई आदेश नहीं हैं। इसलिए एमपी ने उन्हें जाने नहीं दिया। ये सभी मवेशी वैध तरीके से खरीदे गए हैं। ये सभी जानवर नागौर के पशु मेले से मध्य प्रदेश के पशु मेले में ले जाए जा रहे थे। वाहनों का परमिट नहीं दिखा पाने के कारण उन्हें एमपी में प्रवेश नहीं दिया गया।