Banswara कोई भूखा नहीं सोयेगा, जरूरतमंदों के लिए संजीवनी बनी इंदिरा रसोई
लाभार्थियों की जुबानी
रसोई में भोजन कर रहे श्याम ने बताया कि पेशे से श्रमिक है। रसोई खुल जाने के बाद यहीं भोजन करता है। उसे बहुत सहूलियत है। कोहाला के दिलीप बताते हैं कि एक निजी संस्था में काम करते हैं। जिस दिन भोजन घर से नहीं लाते हैं, तो यहीं भोजन करते हैं ताकि कम पैसे में पेट भर जाए। इंदिरा रसोई से बहुत राहत हुई है। अतिरिक्त भोजन का नहीं लेते पैसा पुराना बस स्टैंड क्षेत्र में संचालित इंदिरा रसोई के दीपक जोशी बताते हैं कि भोजन बनाते समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। कोई निर्धारित भोजन से अधिक की मांग करता है, वह भी बिना शुल्क दिया जाता है, ताकि आगंतुक का पेट भर सके। एक तरह से सेवा कर रहे हैं।
कई परिवारों को मिल रही राहत
नया बस स्टैंड परिसर में इंदिरा रसोई का संचालन करने वाले विनोद बताते हैं कि कई निर्धन परिवार ऐसे हैं जिनका जीवन यापन रसोई के माध्यम से हो रहा है। पूरा का पूरा परिवार दोनों समय रसोई में भोजन करता है। ऐसे ही कई राहगीरों के लिए सहूलियत हो गई है। श्रमिक वर्ग के कई राहगीर कम पैसे में व्यवस्थित भोजन प्राप्त कर लेते हैं।