Banswara शहर में फैला साइबर ठगों का नेटवर्क, हर दिन एक दो को बना रहे शिकार

नए पैंतरे, जहां चुके वहीं डूबे
डॉक्टर का अप्वाइंट हो या बैंक लोन की जरूरत, कभी लिंक से तो कभी फाइनेंस से जुड़ी संस्थाओं की औपचारिकताओं के नाम पर, कभी बैंककर्मी बनकर क्रेडिट कार्ड चालू कराने तो कभी लुभावनी स्कीम का फायदा दिलाने के नाम पर लोगों से जानकारियां बटोरकर ठग अपनी शातिरी दिखाते रहे हैं। अब तो ठग ब्लैंक कॉल्स करके भी तकनीक का बेजा इस्तेमाल कर बैंक खाते साफ करने लगे हैं। इससे अब तक जेब कटने और घरों-प्रतिष्ठानों के ताले चटकाकर हाथ मारने वाले चोरों के दीगर, बेखबरी में बैंक खाते खाली करने वाले बदमाशों की आफत ज्यादा परेशान करने लगी है।
जनवरी में खुले जिला मुख्यालय के साइबर थाने तक शिकायत आते ही अधिकारी-जवान संजीदगी से मदद के प्रयास में जुटते रहे हैं। नतीजे में अब तक ठगों के हत्थे चढ़ चुका एक करोड़ से ज्यादा पैसा कई संदिग्ध खातों में होल्ड है। इसके अलावा दस लाख के ज्यादा राशि का ट्रांजेक्शन रुकवाकर पीड़ितों के खातों में वापस दिलवाया जा चुका है। बावजूद इसके, तरीके बदल बदल कर ठग नई वारदातों को अंजाम देते रहे हैं। फिर प्रदेश के अन्य जिलों की भांति यहां साइबर एक्सपर्ट और एना लिसिस के चारों पद नाम के होने से तमाम कामकाज चंद महीनों की ट्रेनिंग करके जुटे अधिकारियों-कर्मचारियों के हस्ते है।
केस 02: लोन मिला नहीं, खाते से गए एक लाख
खमेरा का सब्जी विक्रेता हरीश पुत्र उदयलाल भोई। अपनी जरूरत और कम ब्याज पर कर्ज के झांसे में आकर बांसवाड़ा में सिन्टेक्स मिल के सामने कृष्णा फाइनेंस से संपर्क हुआ। शिवनारायण नाम के व्यक्ति ने आधार व अन्य दस्तावेज लिए और उसका खाता सही मेन्टेन नहीं होना बताकर उसमें एक लाख रुपए डालने को कहा। जुगाड से 26 और 27 अप्रैल, 2023 को दो किस्त में एक लाख रुपए डाले ही थे कि उसी दिन खाते से 9950 रुपए डेबिट हो गए। बैंक स्टेटमेन्ट से पता चला कि शिव नारायण ने ही उसके मोबाईल से डिटेल्स और लेकर यह धोखा किया। फिर वह ऑफिस और अपना मोबाइल बंद कर वह भाग गया। मामले की जांच में आरोप प्रमाणित हुआ तो साइबर थाने ने केस राजतालाब थाने को भेजा। एफआईआर दर्ज हुई पर जांच अटकी ही है।