Banswara फिल्टर प्लांट का पानी ओवरफ्लो होकर बगीचे में जाने से आम के पेड़ हो रहे खराब
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कृषि अनुसंधान केंद्र फॉरवर्ड अंतर्गत पीएचईडी परिसर के पीछे स्थित फल अनुसंधान केंद्र का बगीचा। इधर, पीएचईडी शहर के सहायक अभियंता शुभम जोशी ने बगीचे में पानी ओवर फ्लो होने के बारे में पूछा तो बताया कि वाटर टैंक का बैक वाश करने और फिल्टर मीडिया धोने के दौरान आधे घंटे के समय में पानी ओवर फ्लो होता है। हमने आमों के बगीचे से होते हुए बाहर तक पानी बाहर निकालने नाली बनवा रखी है। इसके बावजूद आमों के बगीचे में काम काज के दौरान नाली में मिट्टी भर जाने से पानी आगे नहीं जा पाता है और पानी बगीचे में फैल जाता है।
हमने बगीचा प्रभारी से कहा कि तीन चार श्रमिक आपके विभाग के और तीन चार श्रमिक हमारे विभाग के लगा कर नाली साफ करवा लें तो ये समस्या नहीं रहेगी। संभागीय निदेशक कृ़षि अनुसंधान डॉ. हर गिलास ने बताया कि शहर में पीएचईडी के परिसर के पीछे तीस वर्षों से अधिक पुराना फल अनुसंधान केंद्र है। जहां पर विभिन्न किस्मों के आमों के पेड़ हैं। जिनमें मल्लिका, बोम्बे ग्रीन, लंगड़ा, देसी, गुजरात केसर सहित अन्य कई तरह के आमों की किस्मों के पेड़ यहां पर हैं। जिन्हें हर साल फलों के व्यापार से जुड़े व्यापारियों को फल उतार कर बेचने के लिए लाखों रुपए के ठेकों पर दिया जाता है। जिससे सरकार को आय होती है, लेकिन अब ये लगता है कि पानी की अधिक आवक से आमों के बगीचे के पेड़ों में खराबा होने का बुरा असर आमों की कम पैदावार के रूप में सामने आएगा। फलों के व्यापारी आजाद भाई छोटी सादड़ी वाले ने बताया कि इस बाग में हर साल 600 क्विंटल आमों की पैदावार होती है।