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Banswara लिफ्ट से ट्रॉली गिरने से मजदूर का पैर कटा, अस्पताल में भर्ती

 
Banswara लिफ्ट से ट्रॉली गिरने से मजदूर का पैर कटा, अस्पताल में भर्ती 

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा निर्माणाधीन सरकारी कॉलेज में एक मजदूर के पैर पर सीमेंट से भरी ट्रॉली गिर गई। जिससे उसका बाया पैर घुटने के नीचे से कट गया। ठेकेदार व अन्य मजदूर से लेकर जिला अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टर ने जांच कर ट्रॉमा वार्ड में भर्ती किया गया है ।उसके पैर पर करीब आठ टांके लिए गए हैं।साथ में आए ठेकेदार कन्हैया लाल ने बताया कि शिवपुरा में आईटीआई सरकारी कॉलेज निर्माण चल रहा है जहां पर नरु पुत्र भेरू डिंडोर निवासी (25) वागपूरा मजदूरी करता है । उसकी लापरवाही से लिफ्ट के नीचे पैर आ जाने से कट गया। जिला अस्पताल में उसे भर्ती किया गया है। घटना को लेकर उसके परिजनों को जानकारी दे दी गई है।गनीमत रही बड़ा हादसा होने से टल गया।

ईडब्ल्यूएस: राज्य में नौकरी के लिए पात्र, केंद्र में नहीं

आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के युवा प्रदेश में सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ लेने में तो सफल हो रहे हैं, लेकिन केन्द्र सरकार की नौकरियों में नहीं। क्योंकि दोनों सरकारों के ईडब्ल्यूएस श्रेणी के प्रमाण पत्र बनवाने के लिए तय अलग-अलग मापदंड है। राज्य सरकार जहां सीधे तौर पर 8 लाख रुपए की तक की सालाना आय वाला को इस श्रेणी का पात्र मानती है। वहीं केन्द्र सरकार ने भूमि व सम्पत्ति की सीमाएं तय कर रखी है। प्रदेश में असिंचित भूमि के मालिक के पास आय का कोई साधन नहीं होता, जबकि वह केन्द्र के मापदंड के अनुसार आर्थिक रूप से सक्षम हो जाता है और पात्र नहीं रहता। बीते वित्तीय वर्ष में प्रदेश में ईडब्ल्यूएस के 2 लाख 77 हजार से ज्यादा प्रमाण पत्र बनाए गए। वहीं केन्द्र सरकार की नौकरियों के लिए महज 95 हजार प्रमाण पत्र ही जारी हुए। {राजस्थान सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण के लिए अचल संपत्ति संबंधी प्रावधान समाप्त है। अब केवल 8 लाख रुपए वार्षिक आय को ही आधार माना गया है। स

र्टिफिकेट की वैधता एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी है। {केंद्र सरकार ने 10% आरक्षण के लिए शर्त है कि लाभार्थी के पास 5 एकड़ कृषि भूमि, 1000 वर्ग फीट का आवासीय फ्लैट और अनुसूचित व गैर अनुसूचित पालिका क्षेत्र में 100 व 200 वर्ग गज से अधिक का भूखंड नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार सर्टिफिकेट की वैधता जारी होने की तिथि से एक साल ही मानती है। इसके बाद फिर से प्रमाण पत्र जारी करवाना पड़ता है।