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Banswara और डूंगरपुर जिले में भाजपा से एक-एक विधायक, रहेगा राज या बदलेगा रिवाज

 
Banswara और डूंगरपुर जिले में भाजपा से एक-एक विधायक, रहेगा राज या बदलेगा रिवाज
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त करने के बाद भारतीय जनता पार्टी की ओर से भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। उनके मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल में सम्मिलित होने को लेकर दौड़ भी शुरु हो गई है। बांसवाड़ा और डूंगरपुर से इस बार भाजपा के एक-एक विधायक चुने गए हैं, जबकि गत सरकार में बांसवाड़ा से दो विधायक मंत्री बने थे। ऐसे में मंत्रिमंडल गठन तक यह सवाल है कि सरकार में वागड़ को राज मिलेगा या रिवाज बदलेगा। बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों की विभिन्न विधानसभा सीटों से निर्वाचित विधायकों को समय-समय पर मंत्री का दायित्व मिला है। बांसवाड़ा से विधायक चुने गए हरिदेव जोशी ने तीन बार मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला था। इसके अतिरिक्त भाजपा और कांग्रेस की विभिन्न सरकारों में भी वागड़ को प्रतिनिधित्व मिला। हालांकि गत सरकार में डूंगरपुर से कोई मंत्री नहीं बन पाया था। इस बार वागड़ की नौ सीटों में से पांच पर कांग्रेस, दो पर भाजपा और दो पर भारत आदिवासी पार्टी के विधायक बने हैं।

कैलाश दूसरी बार, शंकर पहली बार

बीते चुनावों को देखें तो वसुंधरा राजे के 2003 और 2013 के शासन में बांसवाड़ा और डूंगरपुर से चुने गए विधायकों को मंत्रिमंडल में सम्मिलित होने का अवसर मिला था। इस बार दोनों जिलों में गढ़ी से कैलाश मीणा और सागवाड़ा से शंकरलाल भाजपा से निर्वाचित हुए हैं। मीणा लगातार दूसरी बार गढ़ी से जीतने वाले पहले विधायक हैं, वहीं शंकरलाल पहली बार विधायक बने हैं।

यह रहे हैं मंत्री

गत अशोक गहलोत सरकार में बांसवाड़ा जिले से दो मंत्री रहे थे। मंत्रिमंडल गठन के बाद बांसवाड़ा से अर्जुनसिंह बामनिया को राज्यमंत्री का जिम्मा सौंपा था, वहीं सरकार के करीब ढाई साल होने पर बागीदौरा विधायक महेंद्रजीतसिंह मालवीया को केबिनेट मंत्री बनाया गया। जबकि पूर्व की सरकारों में वागड़ से भीखा भाई, कमला भील, फतेहसिंह, दलीचंद मईड़ा, पूंजालाल गरासिया, जीवराम कटारा आदि मंत्री रहे हैं। कुशलगढ़ से भीमा भाई और घाटोल से नानालाल भी पूर्व में संसदीय सचिव रहे।बांसवाड़ा और डूंगरपुर को बीते 20 साल में बनी दो भाजपा सरकारों में प्रतिनिधित्व मिला है। 2003 में बांसवाड़ा से भवानी जोशी और सागवाड़ा से कनकमल कटारा को मौका मिला था, वहीं 2013 में गढ़ी से जीतमल खांट और बाद में बांसवाड़ा के धनसिंह रावत को मंत्री बनाया गया था। डूंगरपुर से चौरासी से सुशील कटारा को दायित्व मिला था। रिवाज कायम रहा तो एक बार फिर वागड़ अंचल से मीणा या शंकरलाल को अवसर मिल सकता है।