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Banswara खेल स्टेडियम के निकट मैदान में रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का हुआ दहन

 
Banswara खेल स्टेडियम के निकट मैदान में रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का हुआ दहन
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा शहर सहित जिले भर में विजयादशमी पर्व मंगलवार को मनाया गया। खेल स्टेडियम के निकट मैदान में अहंकार का दहन हुआ। ’मैं’ को समाप्त कर ’हम’ बनने का भाव लेकर बुराई रूपी विकृतियों पर विजय पाने की मंशा से शहर सहित गांवों में बुराई और अहंकार के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। कॉलेज ग्राउंड में शाम तकरीबन साढ़े सात बजे पुतले के दहन के साथ ही अच्छाई की विजय हुई, जिसे देखने के लिए गांवों से भी हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। इस मौके पर बतौर अतिथि संभागीय आयुक्त नीरज के पवन, आईजी एस. परिमला, जिला कलक्टर प्रकाशचंद्र शर्मा, पुलिस अधीक्षक अभिजीत सिंह और एडीएम डॉ. दिनेश राय सापेला, नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी, राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य शैलेन्द्र भट्ट आदि उपस्थित रहे। इस दौरान आतिशबाजी भी आकर्षण का केंद्र रही। इससे पूर्व मेले का आनंद लेने के लिए दोपहर से ही लोगों की खासी भीड़ रही है। दिन में विविध स्थानों पर शस्त्र पूजन भी किए गए।

निकाली शोभायात्रा, झांकियों ने मोहामन

शहर के रघुनाथ मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई। इसमें भगवान राम, गजानन और हनुमान जी की झांकियां शामिल रहीं। शोभायात्रा पुराना बस स्टैंड, कस्टम चौराहा, अंबा माता मंदिर होते हुए कॉलेज ग्राउंड पहुंची। जहां पूजन के बाद शोभायात्रा पुन: कॉलेज ग्राउंड के लिए रवाना हुई। लोगों ने शोभायात्रा में शामिल भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता, पवनपुत्र हनुमान की झांकियों के दर्शन किए। इन झांकियों ने देखने वालों का मनमोह लिया। कॉलेज ग्राउंड में बुधवार को नगर परिषद की ओर से गरबा महोत्सव आयोजित किया जाएगा। इसमें आमजन निशुल्क हिस्सा ले सकेंगे। इसमें गरबा गायक तिर्थी मजूमदार, हेमांग जोशी और मनीषा प्रस्तुति देंगी। गरबा महोत्सव शाम सात बजे शुरू होगा।

इस बार आतिशबाजी में हुआ नवाचार

परषिद की ओर से इस बार आतिशबाजी को लेकर नवाचार किया गया। सिंक्रोनाइज पायरोटेक्निक आतिशबाजी की गई। यह बांसवाड़ा शहर में पहली बार हुआ, जिसे देख दर्शक खासे रोमांचित हुए। तकरीबन आधे घंटे तक इसका प्रदर्शन किया गया। एक के बाद एक आतिशी नजारे कॉलेज मैदान में दिखाई पड़े। इससे धुआं नहीं होने से पर्यावरण के दृष्टिगत भी अच्छा प्रयास रहा। यहां बनाए गए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के तीनों पुतलों की लागत एक लाख सत्तर हजार रुपए थी। वहीं पुतलों की लंबाई क्रमश: रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ 35, 25 और 21 फीट रही।