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'मानगढ़ धाम' को लेकर BJP सांसद ने सरकार से की ये मांग, जानें

 
'मानगढ़ धाम' को लेकर BJP सांसद ने सरकार से की ये मांग, जानें 

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, राजस्थान के बांसवाड़ा में आदिवासियों की शहादतस्थली मानगढ़ धाम एक बार फिर चर्चाओं में है। राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू की यात्रा से ठीक पहले बांसवाड़ा और उदयपुर के सांसदों में बयानी तलवारें खिंच गई हैं। दरअसल, उदयपुर के भाजपा सांसद मन्नालाल रावत ने कक्षा 9वीं की पुस्तक में उल्लेखित संत गोविंदगिरि के अलग भील राज्य बनाने के लिए प्रेरित होने का तथ्य गलत अंकित होना बताते हुए मुख्यमंत्री से इसे हटवाने की मांग की। इधर, भारत आदिवासी पार्टी से चुने बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने इसे आदिवासियों के अपमान की हरकत बताया है।

रावत ने सीएम को चिट्ठी में क्या लिखा?

कक्षा 9 की पुस्तक ‘राजस्थान का स्वतंत्रता आंदोलन एवं शौर्य परंपरा’ के अध्याय 4 में पृष्ठ संख्या-42 पर लिखा है कि ‘सामंती एवं औपनिवेशिक सत्ता द्वारा उत्पीड़क व्यवहार ने गोविंदगिरि एवं उनके शिष्यों को सामंती व औपनिवेशिक दासता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भील राज्य की स्थापना की योजना बनाने की ओर प्रेरित किया।’ सांसद रावत ने उक्त कथन को पूर्णतः तथ्यों से परे बता गहरी आपत्ति जताई।

सांसद रोत जवाब में क्या बोले?

राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल की ओर से प्रकाशित कक्षा 9 के पाठ्यक्रम से गोविंद गुरु महाराज व मानगढ़ धाम पर शहीद हुए 1500 से अधिक आदिवासियों से जुड़े तथ्यों को हटाने की बात कहकर उदयपुर सांसद ने शहीदों व आदिवासी समाज को अपमानित करने का काम किया है। आने वाली पीढ़ी माफ नहीं करेगी। भील प्रदेश की स्थापन करना गोविंद गुरू का सपना था और यह एक दिन पूरा भी होगा।

रावत की चिट्ठी पर सीएमओ ने दिए थे आदेश

उदयपुर सांसद के पत्र को सीएमओ ने प्रारंभिक शिक्षा विभाग को भेजकर तथ्यों की जांच व पाठ्यक्रम में आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। हालांकि सीएमओ के उपसचिव जयप्रकाश नारायण ने शिक्षा विभाग को स्पष्ट तौर पर यह नहीं कहा है कि यह तथ्य गलत है और इसे हटाएं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने परीक्षण के बाद नियमानुसार कार्यवाही कर सांसद को भी अवगत कराने को कहा है।

तीन दिन बाद आ रही हैं राष्ट्रपति

आदिवासियों के आस्थास्थल के रूप में चर्चित व प्रसिद्ध मानगढ़ धाम पर देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू 4 अक्टूबर को एक कार्यक्रम में शरीक होने आ रही हैं। जनजाति विकास और उत्थान के लिए काम करने वाले युवा, महिलाओं व संगठनों को राष्ट्रपति सम्मानित करेंगी।