Banswara गरीबों में बांटने के लिए भेजा गया सड़ा हुआ गेहूं, एफसीआई हटी पीछे
प्रतिमाह की तरह जुलाई में राशन डीलरों तक गेहूं पहुंचाने के लिए खाद्य एवं आपूर्ति निगम की ओर से निर्देशित ट्रक एफएसआई भेजे गए। औसतन 480 कट्टे की लोडिंग में एफसीआई के हम्मालों से बीच-बीच में दस-पंद्रह कटे सड़े गले गेहूं के भी भरवा दिए गए। इससे सड़ा गेहूं गांगड़तलाई के एक डीलर तक पहुंचा तो उसने लेने से इनकार कर रसद विभाग से शिकायत कर दी। तब डीएसओ ने खाद्य निगम को मामला देखने को कहा, तो परिवहनकर्ताओं से जवाब तलब करने पर वह माल सीधा एफसीआई से भरवाना सामने आया। यह देखकर रसद विभाग के कान खड़े हुए। फौरी जांच में ही स्पष्ट हो गया कि यहां जिस गोदाम से गेहूं भरा हुआ था, उसमें पुराने सड़े गेहूं की स्टेक भी थी। उसे साथ में खपाने के फेर में कुछ कट्टे डाल दिए गए।
फिर यह सिलसिला अन्य गाडिय़ों के साथ भी चला, जिससे कुशलगढ़, डूंगरा और आनंदपुरी से भी शिकायतें उठीं। हालांकि इनमें ज्यादातर को तवज्जो नहीं दी गई, लेकिन एक साथ एक ही महीने में आई शिकायतों से साफ हो गया कि एफसीआई में ही रखरखाव में लापरवाही ने गेहूं सडऩे पर अपने माथे नहीं आए, इसलिए उसे थोड़ा-थोड़ कर आगे सरकाने का खेल किया गया है। इधर, गड़बड़ी को लेकर चर्चा पर एफसीआई बांसवाड़ा डिपो प्रबंधक हीरासिंह मारतोलिया ने बेटे के दुर्घटनाग्रस्त होने से जुलाई से अवकाश पर होना बताते हुए जिम्मा सहायक प्रबंधक शैलेंद्र चौधरी को सौंपने की जानकारी दी। इधर, चौधरी ने अपने यहां सब सही होने का दावा कर खाद्य एवं आपूर्ति निगम और रसद विभाग को झुठलाते हुए खराब गेहूं भेजने से साफ इनकार कर दिया।एफएसआई से जुलाई में देहात के एक-दो डीलरों तक सड़ा-गला गेहूं पहुंचने की शिकायत आई थी। आपूर्ति निगम से जांच कराई तो पुष्टि हुई, लेकिन एफएसआई परिसर के भीतर जांच और हमारा दखल संभव नहीं है। अपनी सीमाओं के चलते अब आपूर्ति निगम के कर्मचारी बढ़ा कर उनकी निगरानी में ही गेहूं की निकासी कराने के निर्देश दिए हैं।