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Banswara विधायकों को कैबिनेट में पद मिलने की संभावना, कैलाश मीणा भी लाइन में

 
Banswara विधायकों को कैबिनेट में पद मिलने की संभावना, कैलाश मीणा भी लाइन में 

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के बाद अब राज्य में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर चर्चा चल रही है. बांसवाड़ा जिले के विधायकों को भी पद मिलने की संभावना है. गढ़ी विधायक कैलाश मीना मंत्री पद की दौड़ में प्रबल दावेदार हैं. वहीं नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में बागीदौरा से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया भी शामिल हैं. आदिवासी बेल्ट होने के कारण पिछले 20 वर्षों में हर भाजपा और कांग्रेस सरकार में विधायकों को मंत्री बनाया गया है। 2003 में भाजपा सरकार में बांसवाड़ा विधायक भवानी जोशी को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाया गया। 2008 में बागीदौरा विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीया को कांग्रेस सरकार में मंत्री बनाया गया था. इसके बाद 2013 में गढ़ी विधायक जीतमल खांट को बीजेपी सरकार में मोटर गैराज मंत्री बनाया गया.

बांसवाड़ा विधायक धनसिंह रावत को पंचायती राज राज्य मंत्री बनाया गया। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के समय बांसवाड़ा विधायक अर्जुन सिंह बामनिया को टीएडी राज्य मंत्री बनाया गया और ढाई साल बाद बागीदौरा विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीया को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. यह पहला मौका था जब कैबिनेट में बांसवाड़ा जिले से दो मंत्री बनाये गये. ऐसे में अब गढ़ी से एकमात्र बीजेपी विधायक कैलाश मीणा को कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना है.

गढ़ी विधायक कैलाश मीणा को मंत्री बनाने के पीछे 3 बड़े कारण

1. गढ़ी से लगातार दूसरी बार जीते. 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी 24 हजार से ज्यादा वोटों से हारे और 2023 में भी 15 हजार से ज्यादा वोटों से जीते. मीना की हर सेक्शन में अच्छी पकड़ है.
2. जिले की पांच सीटों में से एक पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. माना जा रहा है कि कांग्रेस सरकार में जिले से दो मंत्री बनाए जाने का फायदा कांग्रेस को मिला। इसी तर्ज पर बीजेपी यहां से मीणा को मंत्री बना सकती है.
3. मीना संभाग के सबसे अनुभवी विधायक हैं, डूंगरपुर से शंकरलाल डेचा और प्रतापगढ़ से हेमंत मीना पहली बार चुनाव जीते हैं. मीना के पास संगठन का लंबा अनुभव है. वह जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्य भी रह चुके हैं. मीना संघ पृष्ठभूमि से आती हैं।

इसीलिए विपक्ष के नेता में मालवीया मजबूत हैं

प्रदेश के नेताओं में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और शांति धारीवाल के नाम भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में हैं. ऐसे में गहलोत के नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावना कम है. अगर पार्टी संगठन में सचिन पायलट को मौका दिया गया तो वह भी इस रेस से बाहर हो जायेंगे. गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं तो वहीं विपक्ष के लिए सबसे मजबूत नेता मालवीया हैं. क्योंकि कांग्रेस आलाकमान शांति धारीवाल से नाराज है.

मालवीय लगातार चौथी बार विधायक

महेंद्रजीत सिंह मालवीय वागड़ ही नहीं बल्कि उदयपुर संभाग में भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं. वह लगातार चार बार विधायक रहे हैं और दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। गहलोत की पिछली सरकार में उन्होंने कई बार विधानसभा में सभापति की भूमिका भी निभाई थी. महेंद्रजीत सिंह मालवीय की कांग्रेस आलाकमान पर अच्छी पकड़ है. विश्व आदिवासी दिवस पर मानगढ़ धाम में राहुल गांधी की सभा में भीड़ जुटाकर मालवीया ने यह संदेश दे दिया था कि बांसवाड़ा ही नहीं संभाग में भी उनकी जनता के बीच अच्छी पकड़ है. इस मुलाकात के बाद मालवीय को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया.

बांसवाड़ा जिले में मालवीया ने 5 में से 4 सीटों पर जीत हासिल की.

जिले की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, जिसका श्रेय मालवीया को जाता है. गढ़ी विधानसभा की पांचवीं सीट भी कांग्रेस के खाते में जाने की उम्मीद थी लेकिन टिकट नहीं मिलने पर पार्टी में बगावत हो गई और पूर्व विधायक कांता भील ने प्रत्याशी का समर्थन नहीं किया. उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित भी कर दिया गया था. जिले में किसी भी बड़े नेता की सभा नहीं हुई और नेतृत्व मालवीय ने ही किया।