Banswara Loksabha Election 2024 Result लोकसभा चुनावों की मतगणना में भाजपा कांग्रेस से इतने वोट आगे या कांग्रेस भाजपा से इतनी आगे या ये कैंडिडेट इससे इतना आगे
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, राजस्थान की बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर साल 2019 के चुनाव की तुलना में इस बार करीब 5 फीसदी कम वोटिंग हुई. इस सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान कराया गया और यहां पर 68.42 फीसदी वोटिंग हुई. जबकि, साल 2019 के चुनावों में यहां 72.77 फीसदी वोट पड़े थे. इस लोकसभा सीट पर इस बार मुख्य मुकाबला एनडीए गठबंधन की ओर से बीजेपी के महेंद्रजीत सिंह मालवीय और इंडिया गठबंधन की ओर से भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के नेता राजकुमार रौत के बीच रहा.
आज वोटों की काउंटिंग हो रही है. सबसे पहले पोस्टल बैलेट वोटों की गिनती हो रही है. शुरुआती रुझानों में 9 बजे तक भाजपा के महेन्द्रजीत सिंह मालवीय आगे चल रहे थे, लेकिन 9 बजकर 24 मिनट पर बाप से राजकुमार रौत आगे चल रहे हैं. साल 2019 में इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच हुआ था. उस समय बीजेपी के टिकट पर कनक मल कटारा 7 लाख 11 हजार 709 वोट पाकर तीन लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए थे. जबकि, कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार ताराचंद भगोरा भी कड़े संघर्षों के बाद करीब 4 लाख वोट हासिल कर पाए थे.
2014 में बीजेपी से मानशंकर जीते चुनाव
साल 2014 के चुनावों में भी मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के ही बीच था, लेकिन दोनों दलों के प्रत्याशी बदल गए थे. उस चुनाव में बीजेपी के मानशंकर निनामा 5 लाख 77 हजार वोट पाकर चुनाव जीत गए थे. वहीं उनके मुकाबले में खड़े कांग्रेस पार्टी के रेशम मालविया 4 लाख 85 हजार वोट पाकर 91 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे. अब तक इस सीट पर 2024 से पहले कुल 17 चुनाव हो चुके हैं और इनमें सबसे अधिक 12 बार विजय कांग्रेस को मिली. हर बार कांग्रेस ने प्रत्याशी बदल कर ही जीत हासिल की है. बाद में बीजेपी ने इस लोकसभा क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत तो कर ली. कांग्रेस की तर्ज पर ही बीजेपी ने भी हर बार चुनाव में अपने प्रत्याशी बदल दिए. इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था. उस समय कांग्रेस के भीखाभाई यहां से सांसद चुने गए थे.
2019 में भी बीजेपी का रहा दबदबा
1957 में कांग्रेस के ही भोगीलाल पाडिया, 1962 में रतनलाल, 1967 में हीरजी भाई और 1971 में हीरालाल डोडा यहां से चुनाव जीतते रहे. 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के हीरा भाई ने कांग्रेस का विजय रथ एक बार रोक तो लिया, लेकिन 1980 के चुनाव में फिर यहां से कांग्रेस के भीखाभाई जीते. अगले चुनाव में कांग्रेस के प्रभुलाल रावत जीते. फिर 1989 में जनता दल के टिकट पर हीराभाई जीते. साल 1991 में फिर से कांग्रेस के प्रभुलाल रावत यहां से सांसद बने. 1996 में कांग्रेस के ताराचंद भगोरा, 98 में कांग्रेस के ही महेंद्रजीत सिंह मालवीय और 99 में कांग्रेस के ताराचंद भगोरा यहां से चुनाव जीते. 2004 में यह सीट बीजेपी के धनसिंह रावत ने जीती तो 2009 में कांग्रेस के ताराचंद भगोरा को यहां से संसद जाने का मौका मिला. इसके बाद 2014 में बीजेपी के मानशंकर निनामा और 2019 में बीजेपी के ही कनक लाल कटारा यहां से चुने गए.
