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Banswara हाईकोर्ट का आदेश, प्रदेश की पहली स्वर्ण खदान की होगी नीलाम

 
Banswara हाईकोर्ट का आदेश, प्रदेश की पहली स्वर्ण खदान की होगी नीलाम

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा माही की धरा अब सोना उगलेगी। जिले के घाटोल के समीप जगपुरा भूखिया में स्वर्ण खदान संबंधी वर्षों से लंबित याचिका का राजस्थान उच्च न्यायालय से निस्तारण हो गया है। यह प्रदेश की पहली स्वर्ण खान होगी, जिसकी नीलामी की तैयारियां खान विभाग की ओर से शुरू कर दी गई हैं। स्वर्ण खनन के लिए खदान की नीलामी को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में पीआईएल दायर की गई थी। इस याचिका के विचाराधीन होने से खान विभाग नीलामी संबंधी प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाया था। विचाराधीन प्रकरण का निस्तारण होने के साथ ही खान विभाग ने जगपुरा भूखिया में माइंस नीलामी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। इससे शीघ्र ही राज्य की पहली स्वर्ण खान की नीलामी हो सकेगी। इसके लिए विभाग की ओर से नीलामी संबंधी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। एक मोटे के अनुमान के अनुसार यहां स्वर्ण, तांबा और कोबाल्ट व निकल के डिपोजिट हैं। यहां 134178 करोड़ रूपए के स्वर्ण भण्डार और 7720 करोड़ के तांबे के भंडार संभावित हैं।

घाटोल के जगपुरा भूखिया में गोल्ड प्रोजेक्ट का वर्ष 1970 में पहली बार राज्य सरकार की ओर से सर्वेंक्षण किया गया। 1990 में भारत सरकार के भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की ओर से खनिज गोल्ड के सर्वेक्षण एवं पूर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ किया गया। इस क्षेत्र में 115 मिलियन टन गोल्ड एवं 70 मिलियन टन तांबा के भण्डार होने का तत्समय आंकलन किया गया। भारत सरकार के नियमानुसार 19 जनवरी 2005 में तीन वर्ष के लिए 207 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में खनिज के लिए मेटल माइनिंग इण्डिया को परमिट दिया गया। इसके बाद खनिज कॉपरलैण्ड लिमिटेड को 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आवंटित किया। किंतु न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने से नीलामी आदि प्रक्रिया थमी रही।

गौरतलब है कि गोल्ड प्रोजेक्ट को लेकर घाटोल विधायक हरेंद्र निनामा ने विधानसभा के दूसरे सत्र में सरकार से सवाल पूछे थे। इसमें गोल्ड प्रोजेक्ट का कार्य प्रारम्भ होने, खादन से निकलने वाली धातु, कार्यकारी एजेंसी व कंपनी तथा समीपस्थ पंचायतों के प्रभावित होने संबंधी सवाल सम्मिलित थे। इस पर तत्कालीन खान मंत्री ने जवाब दिया था कि 1990 से खनिज गोल्ड के सर्वेक्षण एवं पूर्वेक्षण का कार्य प्रारम्भ किया गया था। कोई भी खनन पट्टा स्वीकृत नहीं होने के कारण किसी भी धातु का दोहन नहीं हो रहा है एवं न कोई एजेन्सी या कम्पनी कार्यरत है। खनन पट्टा स्वीकृत नहीं होने के कारण कोई भी पंचायत प्रभावित नहीं हो रही है। खनिज संभावित क्षेत्र होने से भूमि आवंटन की कार्यवाही नहीं की जा रही है। जगपुरा भूखिया स्वर्ण खनन को लेकर न्यायालय से प्रकरण निस्तारित हो गया है। इससे खान नीलामी का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह बांसवाड़ा के लिए अच्छी खबर है।