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Banswara जीजीटीयू संविदा पर माध्यमिक विद्यालय से भी कम स्थायी कर्मी, पद खाली

 
Banswara जीजीटीयू संविदा पर माध्यमिक विद्यालय से भी कम स्थायी कर्मी, पद खाली

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा मशहूर लेखक धर्मवीर भारती की मशहूर किताब 'ठेके पर हिमालय' का नाम तो आपने सुना ही होगा, लेकिन यहां की एक यूनिवर्सिटी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। सरकारी होने के बावजूद गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की व्यवस्थाएं ठेके पर हैं। शायद यह राज्य का पहला विश्वविद्यालय होगा जहां स्थायी कर्मियों की संख्या किसी भी माध्यमिक विद्यालय के कर्मियों से कम है. सरकार द्वारा केवल दो लेखाकारों को ही स्थायी कार्मिक के रूप में सीधे नियुक्त किया जाता है। यहां कुलपति समेत स्थाई कर्मचारियों के पद खाली हैं और अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट), अतिरिक्त कार्यभार और प्रतिनियुक्ति कर्मियों के आधार पर करीब सवा लाख विद्यार्थियों की परीक्षाएं और रिजल्ट के साथ कॉलेजों से संबद्धता, शोध, खेल और अन्य कार्य शामिल हैं। किया जा। सभी अनुभागों का संचालन मंत्रालयिक, अधीनस्थ कार्मिक प्लेसमेंट एजेंसी या सेवानिवृत्त कर्मियों द्वारा किया जाता है।

वहीं, प्रतिनियुक्त कर्मियों पर दो से तीन विभागों की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. ऐसे में काम लायक स्थितियां बनी हैं. विश्वविद्यालय के बुनियादी कार्य प्रभावित हो रहे हैं. विश्वविद्यालय को स्थापना के बाद से ही स्टाफ नहीं मिला है। यहां शैक्षणिक व्यवस्था भी अतिथि व्याख्याताओं के भरोसे चल रही है। यहां कुल 15 पदों में से मात्र दो जूनियर अकाउंटेंट की सीधी नियुक्ति है. हालांकि यहां सेवाएं दे रहे अधिकारियों व कर्मियों का प्रयास सराहनीय है. उनके हिस्से में राज्य स्तरीय एसईटी और पीटीईटी जैसी बड़ी परीक्षाओं का बिना किसी परेशानी के राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन जैसी प्रमुख उपलब्धियां शामिल हैं।

अटकी भर्ती दरअसल, यूनिवर्सिटी का दर्जा लंबे समय से सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित होने के कारण पद खाली रह गए हैं। स्वीकृत पदों पर भर्ती भी अनुमोदन के बाद ही संभव है। वहीं, पिछले दिनों निकली गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती पर रोक को लेकर भी अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. सरकार बदलते ही इस पर रोक लगा दी गई. हाल ही में निकली संविदा भर्ती भी लंबित है। बताया जा रहा है कि यह भर्ती स्थायी कुलपति के आने के बाद ही की जाएगी। हालांकि, स्थायी कुलपति मिलने में देरी और उसके बाद विधानसभा चुनाव के कारण देरी होने की संभावना है।