Banswara डूंगरपुर के संगठनों ने खुद को आंदोलन से किया अलग, कमलकांत कटारा ने दी गिरफ्तारी
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा /डूंगरपुर अनुसूचित क्षेत्र में स्थानीय एवं अधीनस्थ सेवाओं की भर्ती-पदोन्नति और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश में जनजाति वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में 70.42 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर आदिवासी आरक्षण मंच मिशन-73 केंद्रीय संघर्ष समिति की ओर से शुक्रवार से प्रस्तावित महापड़ाव से पहले ही पुलिस एक्शन मोड पर आ गई है। शुक्रवार सुबह 9 बजे से महापड़ाव की चेतावनी थी, इससे 11 घंटे पहले गुरुवार शाम को आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रोफेसर कमलकांत कटारा को गिरफ्तार कर लिया। जिले में 173 लोगों को पाबंद किया गया है। एसपी अभिजीत सिंह के आदेश पर देर रात ही सभी थानों के एसएचओ अपनी टीमों के साथ हाइवे पर तैनात हो गए। संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों की सघन जांच की जा रही है। कलेक्टर प्रकाशचंद्र शर्मा ने बुधवार देर रात धारा 144 लगा दी थी।इधर, डूंगरपुर एसपी कुंदन कंवरिया ने डीएसपी समेत 40 कार्मिकों को बांसवाड़ा में उपस्थिति देने के आदेश दिए हैं।
इधर आदिवासी आरक्षण मंच को डूंगरपुर के कई संगठनों ने समर्थन नही दिया। भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा से जुड़े पोपट खोखरिया ने बताया कि भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा समेत आदिवासी परिवार से समर्थित अन्य संगठनों ने किसी तरह का कोई समर्थन नहीं दिया है। हमसे समर्थित संगठन से कोई भी बांसवाड़ा नही जा रहा है। आदिवासी परिवार से जुड़े कांति भाई ने बताया कि बांसवाड़ा में हो रहे चक्का जाम में आदिवासी परिवार की किसी भी सामाजिक विंग का कोई समर्थन नहीं है। बांसवाड़ा में गुरुवार को पुलिस प्रशासन ने भी हाईअलर्ट घोषित करते हुए टीमों को गांवों में भेजा है।
श्री कल्लाजी के अवतरणोत्सव पर निकाली शोभायात्रा
बांसवाड़ा| लोक देवता कल्लाजी का गुरुवार को अवतरणोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर शोभायात्रा निकाली गई। आशापुरा गोगागढ़ धाम जानावारी में सुबह 8 बजे से वेद मंत्रोच्चारणों द्वारा पूजन व मांगलिक कार्यक्रम को प्रारंभ कराया गया। सुबह 10:30 बजे से सुसज्जित पालकी में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें कल्ला जी महाराज का नगर भ्रमण करवाते हुए महंत गादीपति अजीत सिंह व समस्त कल्याण भक्त मंडल शामिल हुए। दोपहर 3 बजे से हवन पूर्णाहुति छप्पन भोग महाआरती इत्यादि कार्यक्रमों हुए। बाद में कल्लाजी महाराज के गादी दर्शन के बाद महाप्रसादी का कार्य प्रारंभ किया गया।