Aapka Rajasthan

Banswara हर साल 5 हजार यूनिट रक्तदान करें, फायदा सिर्फ 25 फीसदी

 
Banswara हर साल 5 हजार यूनिट रक्तदान करें, फायदा सिर्फ 25 फीसदी
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा बीते वर्षों में रक्तदान को लेकर आमजन में जागरूकता बढ़ी है। विभिन्न संस्थाओं के प्रयासों के बूते लोगों ने रक्तदान के महत्व को समझ महादान का हिस्सा बने। लेकिन इस महादान की कद्र महात्मा गांधी चिकित्सालय प्रबंधन और चिकित्सा विभाग नहीं कर पा रहा है। उचित कदम न उठाए जाने के कारण 75 फीसदी कम लोग लाभांवित हो पा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है महात्मा गांधी चिकित्सालय में ब्लड सेप्रेटर का न होना। ब्लड सेप्रेटर होने से एक यूनिट ब्ल्ड से चार मरीजों को फायदा पहुंचाया जा सकता है, जो अभी सिर्फ एक मरीज को ही मिल रहा है। इससे एक यूनिट से सिर्फ 25 फीसदी ही लाभ लिया जा रहा है। क्यों कि ब्लड सेप्रेटर न होने के कारण मरीज को पूरा रक्त चढ़ाना पड़ता है। हां यह जरूर है कि ब्लड सेप्रेटर को लेकर कई बार चर्चा जरूर हुई पर उच्चाधिकारियों की ओर से इस दिशा में ठोस कदम उठाए गए हों नजर नहीं आया।

अब विभाग में करेगा जतन

प्रदेश में रोगियों को रक्त एवं रक्त अवयवों की सुगम एवं सुरक्षित उपलब्धता के लिए एक्शन प्लान बनाया जाएगा एवं दो उप समितियां (रेगुलेटरी एवं टेक्निकल) भी गठित की जाएंगी। यह कमेटियां प्रदेशभर में ब्लड बैंकों का भारत सरकार की गाइडलाइन अनुसार सुचारू संचालन सुनिश्चित करेंगी। यह निर्देश राज्य ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विसेज एवं राज्य ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की कार्यप्रणाली की समीक्षा के दौरान दिए गए।

रक्त के ये हैं चार अवयव

लाल रक्त कोशिकाएं, सफेद रक्त कोशिकाएं, प्लाज्मा (क्रायोप्रोसिपिटेट) और प्लेटलेट्स

नियमित समीक्षा होगी

एसीएस शुभ्रा सिंह ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए एक स्टेट नोडल ऑफिसर नियुक्त करने एवं जोनल स्तर पर संबंधित मेडिकल कॉलेज की जोन स्तरीय कमेटी द्वारा नियमित समीक्षा किए जाने के निर्देश दिए।ब्लड सेप्रेटर को लेकर कार्रवाई जारी है। लेकिन आचार संहिता को लेकर काम अवरुद्ध रहा। अब प्रक्रिया जल्द अमल में लाई जाएगी। और सेप्रेटर लगवाने का प्रयास किया जएगा।