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Banswara साइबर थाने ने छह माह में 450 खाते किए फ्रीज, सौ से ज्यादा सीमें बंद

 
Banswara साइबर थाने ने छह माह में 450 खाते किए फ्रीज, सौ से ज्यादा सीमें बंद

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा जिले में साइबर ठगी प्रकरणों की जांच में बेजा इस्तेमाल की पुष्टि पर बांसवाड़ा पुलिस के सामने आए विभिन्न बैंकों के 450 खाते फ्रीज करवाए गए हैं। इसके अलावा सौ से ज्यादा सीमें बंद करवाई गई हैं। साइबर थाना सूत्रों के अनुसार साइबर थाने की जांच में कुछ मामलों में ठगों ने चार-चार खातों का इस्तेमाल करते हुए ट्रांजेक्शन किए। ऐसे में चोरों खाते फ्रीज करवाना पड़ा। इसके दीगर, ठगी की वारदात के बाद जिन खातों में पैसे ट्रांसफर हुए, उनकी जानकारी पर बैंकों से होल्ड भी करवाए गए। इसके चलते फिलहाल करीब एक करोड़ रुपए होल्ड पर हैं, जबकि ठगी के शिकार परिवादियों को साइबर पुलिस ने 30 लाख रुपए राशि वापस दिलाने में सफलता हासिल की है।

यहां मिली उल्लेखनीय सफलता

बांसवाड़ा के साइबर थाने को डेढ़ साल से उलझे एक मामले में उल्लेखनीय सफलता भी मिली है, जिसमें कॉपरेटिव बैंक से रिटायर एक बुजुर्ग के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हो गई थी। तब साइबर थाना नहीं था तो कोतवाली में शिकायत की, लेकिन फाइल बंद पड़ी रह गई। साइबर थाना खुलने पर नए सिरे से जांच शुरू की गई। अमूमन ठगी के लिए फर्जी तरीके से खुलवाए खाते में पैसा डालने के बाद ठग जल्द ही उसे निकाल लेते हैं। इस मामले को काफी वक्त बीतने से ठग मुगालते में रहे और बुजुर्ग के खाते से पैसे जिस उड़ाकर खाते में पैसा डाला, वह चालू ही रह गया। इस पर पुलिस ने उसे होल्ड करवाया। फिर सीजेएम कोर्ट के जरिए बुजुर्ग को एक लाख रुपए वापस मिला।

औसत दस शिकायतें रोज

ऑनलाइन फ्रॉड की दस शिकायतें रोज आती हैं। इनकी स्क्रूटनिंग कर कॉल और बैंक खातों की डिटेल्स निकलवाने और जांच-पड़ताल में वक्त लगता है। साइबर थानों में एक्सपर्ट और प्रोग्रामर के दो-दो सृजित पदों पर अब तक नियुक्तियां नहीं हुई हैं। इससे ठगों की लोकेशन ट्रेस करने में भी परेशानियां आती हैं। साइबर थाने के एसआई रमेशचंद्र के अनुसार ऑनलाइन शिकायतें दिल्ली में साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज होने के बाद एलॉटमेंट पर प्रदेश मुख्यालय और फिर जिलों को भेजी जाती हैं। जांच के बाद आरोप प्रमाणित पाए जाने पर केस दर्ज किए जाते हैं। इससे पहले जांच के दौरान ठगी का पैसा खातों में ही होने की जानकारी पर उसे होल्ड करवा दिया जाता है। होल्ड राशि कोर्ट के जरिए ही परिवादी को मिल पाती है।