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Banswara 88 दवा वितरण केंद्रों पर 50 फीसदी फार्मासिस्ट नहीं, नर्सिंग कर्मियों के भरोसे

 
Banswara 88 दवा वितरण केंद्रों पर 50 फीसदी फार्मासिस्ट नहीं, नर्सिंग कर्मियों के भरोसे

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा  प्रदेश में सरकार निशुल्क दवाओं की संख्या बढ़ाकर वाहवाही लूट रही है। पर, असल में इन दवाओं को रोगियों तक पहुंचाने की व्यवस्था गड़बड़ है। क्योंकि जिले में संचालित 88 दवा वितरण केंद्रों में से 50% पर फॉर्मासिस्ट ही नहीं हैं। वह भी तब जब एक काउंटर पर एक फॉर्मासिस्ट ही गिना जाए। अन्यथा आईपीडी अस्पतालों में एक काउंटर को संचालित करने के लिए 5 फॉर्मासिस्ट के साथ दो हेल्पर और सिर्फ ओपीडी वाले अस्पतालों में 2 फॉर्मासिस्ट और एक हेल्पर की आवश्यकता होती है। फॉर्मासिस्ट के पद रिक्त होने से मूल काम से अलग नर्सिंग कार्मिकों के भरोसे 1331 दवाएं रोगियों को वितरित की जा रही हैं, जोकि नियमों का उल्लंघन के साथ ही जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। क्योंकि इन नर्सिंगकर्मी की ट्रेनिंग व पढ़ाई फॉर्मासिस्ट की अपेक्षा बहुत अलग है।

नर्सिंगकर्मियों पर अनावश्यक बोझ

मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में स्तर के अनुरूप 1331 दवाओं का निशुल्क वितरण किया जाता है। फॉर्मासिस्ट न होने की स्थिति में दवाओं के वितरण का बोझ नर्सिंगकर्मी को उठाना पड़ता है। डीडीसी काउंटर पर कार्यरत एक नर्सिंगकर्मी ने बताया कि हमारी पढ़ाई ही बिल्कुल अलग है। इस कारण नर्सिंग कार्मिकों को दवा वितरण केंद्रों पर काफी दिक्कत आती है। नौकरी है, इसलिए करना पड़ता है। कई बार तो मरीज की समस्या के समाधान के लिए कई लोगों ने चर्चा करनी पड़ जाती है।

93 स्वीकृत पदों में महज 15 ही कार्यरत

इन दवा काउंटर पर फॉर्मासिस्ट के स्थायी पदों पर नजर डालें तो 93 स्वीकृत पदों में महज 15 ही कार्यरत हैं। यानी 83 फीसदी पद रिक्त हैं। वो भी तब जब एक काउंटर पर एक फॉर्मासिस्ट गिना जाए। इन कार्यरत 15 पदों के अतिरिक्त 27 फॉर्मासिस्ट अस्थायी तौर पर कार्यरत हैं। फॉर्मासिस्ट: फॉर्मासिस्ट को पढ़ाई के दौरान मुख्य तौर पर दवाओं के बारे में पढ़ाया जाता। जिसमें दवाओं के कंपोनेंट, उनके रखरखाव सहित कई अन्य बिन्दुओं के बारे में बताया जाता है। ताकि वे मरीज को दवाओं की सही जानकारी दे सकें। नर्सिंगकर्मी : नर्सिंग कर्मी का मुख्य कार्य होता है चिकित्सक के परामर्श को फॉलो करना और मरीज की सेवा एवं देखरेख करना। इस कारण नर्सिंगकर्मी को दवाओं के रखरखाव और कंपोनेंट के बारे में सही जानकारी नहीं होती। बिना फॉर्मासिस्ट लाइसेंस के बिना कोई भी मेडिकल स्टोर चलाना गैर कानूनी है। डीडीसी काउंटर पर निशुल्क दवा दी जाती है। इसलिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। हां जहां तक मैं समझता हूं, दवा देने का कार्य फॉर्मासिस्ट का ही है। जिले में कई पद रिक्त हैं। लेकिन कार्य प्रभावित नहीं होने दे रहे हैं। फॉर्मासिस्ट पदों के लिए सरकार ने भर्ती निकाली है। प्रबल संभावना है कि जिले में पद भरेंगे। बीते वर्ष निकाली गई भर्ती में हमें पंजीकृत कार्मिक नहीं मिले।