Banswara 22 को जिले में दीक्षांत समारोह में राज्यपाल विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को उपाधियां एवं पदक प्रदान करेंगे
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय (जीजीटीयू) का पांचवां दीक्षांत समारोह 22 दिसंबर को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित किया जाएगा। समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र मुख्य अतिथि होंगे. दीक्षांत समारोह को जीजीटीयू के प्रथम कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी भी संबोधित करेंगे। कुलपति प्रो. केशव सिंह ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए सभी डिग्रियां प्रदान करने की औपचारिक अनुशंसा करेंगे. इस अवसर पर, सत्र 2022-23 के लिए विभिन्न डिग्री परीक्षाओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया और स्वर्ण पदक के लिए पात्र घोषित छात्रों को स्वर्ण पदक, योग्यता प्रमाण पत्र और डिग्री प्रदान की जाएगी। साथ ही पिछले सत्र में पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले शोधार्थियों को भी विधिवत डिग्री प्रदान की जाएगी। कुलसचिव राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण जीजीटीयू के प्रथम कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी देंगे। आयोजन की सभी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और समितियों का गठन कर दिया गया है।
उपराष्ट्रपति भी कर चुके बांसवाड़ा का दौरा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड शनिवार को एक दिन के दौरे पर पत्नी के साथ बांसवाड़ा पहुंचे। उपराष्ट्रपति तलवाड़ा हवाई पट्टी पहुंचे। जहां जिला प्रशासन की ओर से स्वागत किया गया। इसके बाद सड़क मार्ग से त्रिपुरा सुंदरी मंदिर पहुंचे। करीब 20 मिनट पूजा अर्चना के बाद सड़क मार्ग से ही गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय पहुंचे। कुलपति प्रो केशवसिंह ठाकुर से स्वागत किया और एनसीसी कैडेट्स की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इसके बाद धनकड़ ने स्टूडेंट्स के साथ लंच किया।
उपराष्ट्रपति ने संबोधन में कहा कि मैं 1989 को कभी नहीं भूलूंगा जब मैं केंद्रीय मंत्री था सोने की चिड़िया कहने वाला देश का सोना हवाई जहाज से गिरवी रखने के लिए स्विटजरलैंड भेजा गया। दो बैंक में वहां गिरवी रखा ताकि हमारी साख बच पाए। आज हम कहां होते अंदाज लगाएंगे तब विदेशी मुद्रा रिजर्व एक से दो अरब के बीच झूल रहा था सरकार का हिसा था हमारी नींद उड़ी हुई थी। आज हमारा विदेशी मुद्रा 600 अरब अमेरिकी डॉलर है। आज से दस साल पहले भारत की गिनती दुनिया की उन अर्थव्यवस्था में की जाती थी जो दुर्बल थी। हमें नाजुक हिस्से का हिस्सा समझा गया। हम अब बड़ी उड़ान देख रहे हैं।