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Banswara भाजपा, कांग्रेस व बीएपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, जमने लगा चुनावी रंग

 
Banswara भाजपा, कांग्रेस व बीएपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, जमने लगा चुनावी रंग
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा  जिले में घाटोल एक मात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां का विधायक चुनने के लिए दो जिलों के मतदाता मतदान करते हैं।राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े इस विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मार्गों सहित भीतरी गांवों में चुनावी रंग जमने लगा है। झंडे, बैनर, प्रचार को दौड़ते वाहनों के साथ ही राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं की सभाओं से चुनावी हलचल परवान पर चढ़ गई हैं। घाटोल विधानसभा में प्रतापगढ़ जिले का पीपलखूंट क्षेत्र भी आता है। इस सीट पर कांग्रेस ने एक बार फिर नानालाल निनामा पर भरोसा जताया है तो भाजपा ने पूर्व सांसद मानशंकर निनामा पर दावं खेला है। पहली बार चुनाव मैदान में उतरी भारत आदिवासी पार्टी भी अशोक कुमार के साथ दम दिखा रही है।

यों तो चुनाव मैदान में एक निर्दलीय सहित सात प्रत्याशी हैं, किंतु मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस व बीएपी में रहेगा। तीनों दल पूरा जोर लगा रहे हैं और टक्कर कांटे की है। घाटोल वासियों को सबसे पहले बायपास मिलना चाहिए। नेशनल हाइवे बनने के बाद से इसकी मांग की जा रही है, जिसे अब तक पूर्ण नहीं किया गया है। बायपास के अभाव में हादसे होते हैं और आए दिन यातायात बाधित होता है। जनता को राहत मिलनी चाहिए। भूंगड़ा, वाडगुन और आसपास के क्षेत्र में सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। इनकी मरम्मत की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। कई पुल ऊंचे करने और मरम्मत की दरकार है। इसके अभाव में बारिश में आवागमन बाधित हो जाता है।  घाटोल से दोनों दलों के प्रत्याशी विधायक बने, किंतु सरकारी कॉलेज की स्थापना को लेकर कभी प्रयास नहीं हुए। आज भी क्षेत्र के युवाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बांसवाड़ा तक जाना पड़ता है। युवा हित के बारे में भी सोचना चाहिए।

बामनपाड़ा और आसपास के इलाके में नहरी तंत्र नहीं है। खेती कुओं पर निर्भर हैं। इस बार बरसात भी कम हुई है तो जलस्तर भी नीचे चला गया है। इस इलाके में भी नहरी तंत्र की सुविधा मिलनी चाहिए, ताकि किसानों की उन्नति हो। घाटोल विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्रीय राजमार्ग का बायपास है। राष्ट्रीय राजमार्ग का बायपास नहीं होने से मुख्य रूप से घाटोल कस्बे में ही विगत कुछ वर्षों में कई हादसे हुए। कई लोगों को जान गंवानी पड़ी। ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद और राज्य से केंद्र सरकार तक यह मुद्दा उठा। वार्षिक योजना में सम्मिलित होने, नहीं होने के आरोप-प्रत्यारोप लगे, किंतु अब भी बायपास दूर है। वहीं मोटागांव बायपास भी इस इलाके का बड़ा मुद्दा है।