Banswara जिले में 5 माह में 8% एफआईआर विड्रो, फर्जी दावे रुके
बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा फर्जी दुर्घटना बीमा दावों की बाढ़ के बीच सुप्रीम कोर्ट से गौहर मोहम्मद बनाम यूपी केस में जारी आदेश की पालना में इस साल मई में शुरू की नई कवायद से बांसवाड़ा में फर्जी दावों में आठ फीसदी कमी आई है। अब तक कुल 184 में से 14 एफआईआर एमएसीटी कोर्ट से वापस लेने से और एक केस को तो सहमति से ही विराम लगने से अब नए दावों में और कमी आने के आसार हैं। मई में राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी जिलों को सुप्रीम कोर्ट में गौर मोहम्मद बनाम उत्तरप्रदेश राज्य परिवहन निगम केस के निर्णय की पालना के लिए नोटिफिकेशन जारी किए थे। इसके तहत सभी थानाधिकारियों से मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 159 के कायदों का गंभीरता से अमल कराने के निर्देश हुए। जिला न्यायालय, बांसवाड़ा ने निर्देश की प्रति पुलिस अधीक्षक को भेजकर पालना सुनिश्चित कराने को कहा, तो बांसवाड़ा के सभी बीस पुलिस थाने सक्रिय हुए।
इससे मई,2023 से अक्टूबर तक,2023 तक हुए हादसों पर कुल 184 एफआईआर 48 घंटों के बीच कोर्ट को भेजी गई, वहीं तीन माह में नतीजा पेश करने की पाबंदी के बीच अनुसंधान अधिकारियों ने तय समय में अंतरिम दुर्घटना रिपोर्ट भेजना भी शुरू किया। इस नई व्यवस्था से एफआईआर कोर्ट में पहुंचते ही संबंधित वाहनों को बीमित करने वाली कंपनियों तक समय रहते सूचना से सच्चाई जानने का मौका मिला, वहीं पुलिस और डॉक्टर से मिलीभगत कर पूर्व में हुए फर्जी दावों की संभावनाएं भी घटी। इसके दीगर, निगरानी के चलते गंभीरता से पुलिस जांच हुई, तो 14 केस फर्जी होने से परिवादियों का दांव कोर्ट में उल्टा पडऩे की आशंका में विड्रो कर लिए गए। नोडल अधिकारी खुशबू पुरोहित के अनुसार इससे इन पर सुनवाई का समय और श्रम जाया होने से समय बचा है। गौरतलब है कि कि बांसवाड़ा जिले में एमएसीटी कोर्ट में हर साल नए केस आने का औसत 1200 के करीब है, जिनमें कई फर्जी प्रमाणित होने पर खारिज हुए हैं।
इन पांच महीनों में कोतवाली क्षेत्र का 4 मई,23 का एक केस ऐसा भी आया जिसमें बाइक की चपेट से 65 वर्षीया जमीला बी पत्नी साबिर मोहम्मद घायल हुई थी। इसे लेकर वृद्धा के बेटे शाहिद की रिपोर्ट पर पुलिस ने 9 मई को केस दर्ज कर पुलिस ने एफआईआर की प्रति एमएसीटी कोर्ट भेजी। इसके बाद सीआई विक्रमसिंंह के निर्देशन में थाने से तय प्रारूप और समयावधि में कोर्ट को सूचना संप्रेषण कराने से सुनवाई ने भी गति पकड़ी और 31 अक्टूबर को बुलावे पर दोनों पक्षों ने हकीकत सामने रखी। न्यायाधीश अभय जैन की मध्यस्था में परिवादी शाहिद के समक्ष अप्रार्थी पंकज हरियाणी ने गलती स्वीकारी तो बीस हजार रुपए भुगतान का समझौता भी हो गया। इससे गौहर मोहम्मद बनाम उत्तरप्रदेश राज्य परिवहन निगम केस के निर्देशों के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की की पालना में बांसवाड़ा में पहला केस मात्र पांच माह में राजीनामे से निस्तारित हुआ।