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Banswara में 60 साल पहले 4 शिव भक्तों ने बनाया था प्रदोष मंडल, आज कर रहे रुद्राभिषेक

 
Banswara  में 60 साल पहले 4 शिव भक्तों ने बनाया था प्रदोष मंडल, आज कर रहे रुद्राभिषेक

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा शहर में प्रदोष मंडल बनाने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। प्रदोष मंडल का गठन 60 वर्ष पूर्व युवाओं द्वारा किया गया था जो प्रतिदिन वाणेश्वर महादेव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करते थे। साथ ही इसी वर्ष से श्रावण माह में वाणेश्वर मंदिर परिसर में रूद्राभिषेक एवं धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए मंडल का आयोजन करने एवं कार्य योजना को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने पर सहमति बनी. जिस पर लक्ष्मीनारायण पाठक, रविदत्त पंड्या, चंद्रकांत पंड्या, अयोध्या प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद पंड्या आदि ने सर्वे भवन्तु सुखिन: की भावना और कामना के साथ 4 जुलाई 1963 को प्रत्येक माह में आने वाले दोनों प्रदोष के दिन महादेव का जपानुष्ठान, हवन किया। . प्रदोष मण्डल की स्थापना की गई। उस समय आरंभिक सदस्यों की संख्या बढ़कर 4 और फिर 19 हो गई। वर्तमान में प्रदोष मंडल के सदस्यों की संख्या 40 है। प्रदोष मंडल के पूर्व अध्यक्ष पंकज पंड्या ने बताया कि मंडल पिछले 60 वर्षों से लगातार शिव पूजन करता आ रहा है और वाणेश्वर शिवालय परिसर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में प्रत्येक माह की दोनों प्रदोज को रुद्राभिषेक होता है।

वहीं मंडल की ओर से तीन अतिरुद्र और तीन शतचंडी महायज्ञ कराए जा चुके हैं। प्रदोष मंडल के अध्यक्ष प्रणव पंड्या ने बताया कि कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान प्रदोष मंडल के सभी 40 सदस्यों ने एक साथ अपने घरों पर वेबिनार के माध्यम से रुद्राभिषेक अनुष्ठान किया था। जिसके कारण मण्डल द्वारा 4 जुलाई 1963 से निरन्तर किये जा रहे शिवपूजन, अर्चन एवं रूद्राभिषेक का क्रम टूटा नहीं और नये युग की नई तकनीक के माध्यम से निरन्तर चलता रहा।

बोर्ड के सक्रिय सदस्यों में पं. हैं। प्रदीप भट्ट, भरत व्यास, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी सुशील त्रिवेदी, भावेश पंड्या, पवन पंड्या, भरत पंड्या, चन्द्रशेखर जोशी, मनोज रावल, ईश्वरदास वैष्णव, पंकज पंड्या, राज्य शिक्षा सेवा अधिकारी कौशल पंड्या, प्रणव पंड्या, सुभाष भट्ट आदि की विशेषता रही। 60 वर्ष पुराने प्रदोष मंडल का आलम यह था कि मंडल के सभी सदस्यों की तत्परता और सहयोग की भावना से पांच सौ से अधिक कर्मकांडी ब्राह्मण तैयार किये गये। जिससे सनातन धर्म के रीति-रिवाजों को विलुप्त होने से बचाया जा सके। वहीं मंडल ने राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात राज्यों में भी प्रदोष के मौके पर कई बार शिव जपनुष्ठान किया है.