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Banswara प्रदेश में बायोवेस्ट के नाम पर हर महीने 48 हजार रुपए खर्च

 
Banswara प्रदेश में बायोवेस्ट के नाम पर हर महीने 48 हजार रुपए खर्च

बांसवाड़ा न्यूज़ डेस्क, बांसवाड़ा शहर के महात्मा गांधी अस्पताल का बायोमेडिकल कचरा मरीजों, बच्चों-बुजुर्गों के साथ ही स्टाफ और नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए कभी भी मुसीबत बन सकता है. यहां अस्पताल के सामने परिसर में तो सब कुछ ठीक है, लेकिन महिला व शिशु वार्ड के पीछे व टीबी वार्ड के सामने बना कचरा संग्रहण केंद्र लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.

इससे महज 20 मीटर की दूरी पर पॉश कॉलोनी रातीतलाई के लोग अस्पताल के प्रदूषण से परेशानी झेलते नजर आ रहे हैं. यहां संक्रामक अपशिष्ट क्षेत्र से मूत्र की थैलियां, खाली ग्लूकोज की बोतलें, आईवी सेट आदि, टूटी इंजेक्शन की शीशियां, सूइयां, प्लेसेंटा, नाल आदि को कुत्ते नोचकर कॉलोनी में ला रहे हैं।

इसके संपर्क में आना किसी के लिए भी घातक है। हालांकि अस्पताल में नियमानुसार बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था है, लेकिन मॉनिटरिंग के अभाव में सफाई कर्मचारी मनमाने तरीके से कूड़ा फेंक रहे हैं।

अस्पताल का कचरा न केवल स्वास्थ्य समस्या पैदा कर रहा है बल्कि अस्पताल प्रबंधन के लिए आर्थिक संकट भी पैदा कर रहा है। बायोवेस्ट के निस्तारण के लिए इंजेनियन कंपनी को हर माह 48 हजार रुपये का भुगतान किया जाता है, लेकिन कंपनी संचालक सप्ताह में एक या दो दिन ही बायोवेस्ट लेने आ रहे हैं।

शुक्रवार को शिक्षा विभाग के कुछ कर्मचारियों ने वीडियो और फोटो उपलब्ध कराए, जिसमें कुत्ते अस्पताल से बायोवेस्ट लाते और विभाग परिसर में नोचते नजर आ रहे हैं।