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रमजान के आखिरी दस दिन और एतिकाफ की इबादत, जानिए इसके नियम-महत्व और इबादत का सही तरीका

 
रमजान के आखिरी दस दिन और एतिकाफ की इबादत, जानिए इसके नियम-महत्व और इबादत का सही तरीका 

अलवर न्यूज़ डेस्क - रमजान का पाक महीना चल रहा है। मुस्लिम महिलाओं के लिए यह खास महीना होता है। इस महीने में लोग दिन-रात खुदा की इबादत करते रहते हैं। रमजान के पाक महीने के आखिरी 10 दिन एतिकाफ के माने जाते हैं। इसमें एतिकाफ में बैठने वाला शख्स मस्जिद में रहकर ईद का चांद दिखने तक इबादत करता है। अलवर के किशनगढ़बास की दयालपुर मस्जिद के इमाम ने बताया कि रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना है।

रमजान का पूरा महीना मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है। इसमें इबादत और रोजे का खास महत्व होता है, जिसके चलते एक दिन की इबादत का फल कई हजार गुना मिलता है। रमजान का आखिरी अशरा चल रहा है, इस अशरे को जहन्नुम की आग से निजात पाने का जरिया माना जाता है और इन 10 दिनों में लोग एतिकाफ में बैठकर खुदा की इबादत करते हैं।

क्या होता है एतिकाफ
रमजान के महीने में शब-ए-कद्र की रात आती है और एतिकाफ होता है। एतिकाफ़ एक अरबी शब्द है जिसका मतलब है 'रोकना'। एतिकाफ़ तीन तरह का होता है- वाजिब, सुन्नत और नफ़िल। इसमें मोहल्ले का कम से कम एक व्यक्ति उस मस्जिद में एतिकाफ़ करता है जहाँ पाँच वक़्त की नमाज़ होती है। 21 मार्च से लोग एतिकाफ़ में बैठकर खुदा की इबादत कर रहे हैं। एतिकाफ़ में बैठे लोग पास की मस्जिद में रहकर 10 दिनों तक खुदा की इबादत करते हैं। वे वहीं सोते हैं और ईद का चाँद दिखने पर ही मस्जिद से बाहर निकलते हैं। उन्हें सिर्फ़ रोज़मर्रा के कामों के लिए ही बाहर निकलने की इजाज़त होती है।