Alwar की स्मृतियों में प्रदेश का गौरवशाली इतिहास समाहित है
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राजस्थान के निर्माण की शुरुआत अलवर से हुई : इतिहासविद् हरिशंकर गोयल के अनुसार तत्कालीन भारत के उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राजस्थान के निर्माण की शुरुआत अलवर से ही की थी। 3 फरवरी 1948 को अलवर रियासत के महाराजा तेजसिंह व प्रधानमंत्री एनबी खर्रे को देहली हाउस बुलाकर गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद खर्रे को प्रधानमंत्री पद से भी हटा दिया गया। इस बीच 5 फरवरी को रेडियो पर संदेश प्रसारित किया गया कि अलवर महाराजा को देहली शहर में रहने का हुक्म हुआ है और अलवर के दीवान पद दिल्ली नगर के मजिस्ट्रेट को लगाते हुए लोगों को शहर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी है। इसके बाद अलवर रियासत को महाराज की ओर से भारत सरकार को सौंपने के बाद 6 फरवरी 1948 को अलवर में प्रशासक के रूप में सेठ केबीलाल और उनके सलाहकार के रूप में लाला काशीराम गुप्ता व बाबू शोभाराम नियुक्त किए गए। यह प्रशासन मत्स्य संघ बनने पर 18 मार्च 1948 तक चला।
देश आजादी की बांटी मिठाई, पहले से ही प्रजातंत्र: नीमराणा के राजा राजेंद्र सिंह ने नीमराणा में 15 अगस्त 1947 को राष्ट्रीय झंड़ा फहराकर रोशनी की और जनता को मिठाई वितरित की गई। अलवर में राज्य के झंडे के साथ राष्ट्रीय तिरंगा झंड़ा फहराया गया था। 18 अगस्त 1947 को राजा राजेंद्र सिंह ने घोषणा की कि प्रजा पंचायत नीमराणा राज्य का विधान बनाकर राज्य चलाएंगे। 30 गांव के इस राज्य को प्रजातांत्रिक समाजवादी स्टेट बनाने का संकल्प घोषित किया गया। जिसमें हर गांव से एक चुना हुआ प्रतिनिधि प्रजा पंचायत का सदस्य बनाने और राज्य में 4 मंत्री बनाने का निर्णय हुआ। बाद में इसे मत्स्य संघ में शामिल किया गया।