Alwar रामगढ़ ब्लॉक के 228 सरकारी स्कूलों में अब तक 248 बच्चों ने लिया प्रवेश
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए आयु सीमा छह वर्ष निर्धारित करने से इस कक्षा में नामांकन बहुत कम हो रहे हैं। शिक्षक नामांकन बढ़ाने के लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आयु सीमा की बाध्यता के चलते राजकीय स्कूलों में नामांकन शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। सरकार ने पहले 31 मार्च तक 6 वर्ष तक की आयु पूरी करने वाले बालकों को प्रवेश के आदेश जारी किए थे। लेकिन प्रवेश नहीं होने से सरकार ने इसमें छूट देते हुए इसे बढाकर 31 जुलाई तक और अब 1 अक्टूबर तक छह वर्ष तक की आयु पूरी करने वाले बालकों को पहली कक्षा में प्रवेश के आदेश जारी किए हैं। लेकिन इसके बाद भी प्रवेश नहीं हो रहे। हिन्दी के साथ अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भी आयु की बाध्यता के चलते पहली कक्षा में प्रवेश कम हो रहे हैं। ब्लॉक रामगढ के आरपी जितेन्द्र कुमार मोदी ने बताया कि रामगढ के 228 स्कूलों में से अभी तक प्रथम कक्षा में 248 प्रवेश हुए हैं। इस अनुसार औसतन एक स्कूल में एक बालक का ही प्रवेश हुआ है। शाला दर्पण पर भी प्रवेश में दिक्कत आ रही है।
आयु तिथि की गणना केवल नव प्रवेशित बालकों पर ही लागू होगी। पहले से प्रवेशित बालकों पर आयु गणना प्रभावी नहीं होगी। अब एक अक्टूबर तक 6 वर्ष की आयु पूरी करने वाले बालकों का नव प्रवेश हो सकेगा। राजकीय विद्यालयों में प्रथम प्रवेश के लिए न्यूनतम छह वर्ष आयु निर्धारित की गई है। जिसके कारण विद्यालयों को नव प्रवेशित विद्यार्थियों की संया अपेक्षा अनुरूप नहीं मिल पा रही है। जब तक बालक 6 वर्ष का होता है अभिभावक इंतजार ना कर निजी विद्यालय में बालकों का प्रवेश करा चुके होते हैं। अब तक हर सरकारी विद्यालय में औसत 10 से 20 नए प्रवेश पहली कक्षा में होते थे। लेकिन आयु सीमा के फेर की वजह से इस बार नामांकन का गणित बिगड़ रहा है। ऐसे में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नामांकन कम हो सकता है। इससे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों में भी चिंता व नाराजगी है। शिक्षकों के अनुसार बालकों को छह वर्ष आयु पूर्व प्रवेश लें तो भी शाला दर्पण पर उसका ऑनलाइन चढ़ाना संभव नहीं हो पा रहा है। बदलते परिवेश में बालकों के बौद्धिक स्तर वृद्धि को देखते हुए प्रवेश की न्यूनतम आयु पांच वर्ष ही रखनी चाहिए। इससे पहले पांच वर्ष तक की आयु के बालकों के प्रवेश होते थे।