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Alwar राज्य में रेडियोलॉजिस्ट की कमी, नहीं मिल रहा लाभ

 
Alwar राज्य में रेडियोलॉजिस्ट की कमी, नहीं मिल रहा लाभ 
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर प्रदेश में रेडियालोजिस्ट की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों की सोनोग्राफी व्यवस्था में भारी अनियमितताएं हैं। हालात यह है कि अस्पतालों में सोनोग्राफी कराने के लिए चिकित्सक ही उपलब्ध नहीं हैं। वहीं, पीसीपीएनडीटी कोर्स कर चुके चिकित्सकों को भी दो साल से प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं। इसके कारण वे कोर्स पूरा होने के बाद भी अभी सोनोग्राफी नहीं करा सकते हैं। ऐसे में संबंधित विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। लोगों का कहना है कि कहीं निजी लैब को फायदा पहुंचाने के लिए तो अनावश्यक देरी नहीं की जा रही है। जानकारी के अनुसार नीट पीजी से पीसीपीएनडीटी का 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स करने वाले चिकित्सकों को भी सोनोग्राफी के लिए अधिकृत किया हुआ है। इसके साथ ही सीट खाली ना रहे, इसके लिए परसेंटाइल को भी जीरो किया हुआ है, लेकिन संबंधित महाविद्यालयों की ओर से सत्र 2023 में सर्टिफिकेट कोर्स की सीटों को भी कम कर दिया गया।

सर्टिफिकेट कोर्स की सीट भी कम की: पीसीपीएनडीटी के 6 माह के सर्टिफिकेट कोर्स के लिए की प्रदेश में सत्र 2021 में 152 सीट थी। इसे सत्र 2022 में बढ़ाकर 192 कर दिया गया। जबकि सत्र 2023 में सीट में कटौती कर वापस 100 कर दिया गया है। हालांकि बाद में इसे 176 कर दिया गया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब रेडियोलोजिस्ट की कमी है तो फिर सीट को क्यूं कम किया गया।

व्यवस्थाओं पर उठ रहे सवाल: सत्र 2021 में पीसीपीएनडीटी के 6 माह के कोर्स में 152 चिकित्सकों ने प्रवेश लिया था। जिन्हें परीक्षाएं होने के बाद अब दो साल से प्रमाण पत्र का इंतजार है। वहीं सत्र 2022 बैच के 192 चिकित्सक करीब 7 माह से परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार पीसीपीएनडीटी के सत्र 2021 और 2022 बैच के चिकित्सकों के प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाएं तो प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को 344 सोनोलोजिस्ट मिल सकेंगे। इससे आमजन को सोनोग्राफी के लिए निजी लैब के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

जिले में एक भी रेडियोलोजिस्ट नहीं: कहने को तो अलवर जिले में मेडिकल कॉलेज संचालित है, लेकिन यहां काफी लंबे समय से एक भी रेडियोलोजिस्ट नहीं है। फिलहाल अलवर व भिवाड़ी जिला अस्पताल में डिप्लोमाधारक चिकित्सक सोनोग्राफी करा रहे हैं। इसके साथ ही बानसूर, बहरोड़, तिजारा और खैरथल व रामगढ़ अस्पताल में एक-एक डिप्लोमाधारक चिकित्सक कार्यरत है, लेकिन यहां सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध नहीं है। इसमें खैरथल, रामगढ व बहरोड़ अस्पताल में कार्यरत 3 चिकित्सकों को लंबे समय से प्रमाण पत्र का इंतजार है।

कहां कितने सोनोग्राफी सेंटर्स: अलवर शहर में 49 एवं लक्ष्मणगढ़, थानागाजी, राजगढ़, रामगढ़ व कठूमर में 2-2 सोनोग्राफी सेंटर संचालित हैं। इसी तरह बानसूर में 4, किशनगढ़बास में 6, बहरोड़ में 7, नीमराना में 6 व तिजारा में 18 सोनोग्राफी सेंटर संचालित हैं