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Alwar नीलकंठ महादेव मंदिर में नीलमणि पत्थर से बना हुआ शिवलिंग मौजूद

 
Alwar नीलकंठ महादेव मंदिर में नीलमणि पत्थर से बना हुआ शिवलिंग मौजूद 
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  से करीब 65 किलोमीटर दूर सरिस्का टाइगर रिजर्व में टहला क्षेत्र स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर अनूठी कला के लिए जाना जाता है। यहां नीलम से निर्मित करीब साढ़े चार फीट ऊंचा शिवलिंग इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है।बताया जाता है कि यह मंदिर गुर्जर प्रतिहार राजाओं ने बनवाया था। मंदिर हिंदू स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। मुगल काल में इसे तुड़वाने का प्रयास किया गया था। आसपास के ढेरों मंदिर उसने ढहा दिए, लेकिन मुख्य मंदिर बच गया। वैसे तो सालभर ही नीलकंठ महादेव मंदिर में दूर-दराज से भक्तों का आना-जाना रहता है, लेकिन सावन मास में यहां पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। मंदिर की पूजा नाथ संप्रदाय के लोगों की तरफ से की जाती है। मंदिर के गर्भगृह में अखंड जोत जल रही है। अरावली की पहाडिय़ों पर दुर्गम रास्ता होने के बाद भी यहां जयपुर, दिल्ली, गुजरात, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य प्रांतों से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है। यहां श्रावण मास में मेले का माहौल रहता है।

पत्थरों से बने हैं मंदिर के गुंबद

स्थानीय लोगों ने बताया कि विशेष बात यह है कि नीलकंठ महादेव मंदिर के गुंबद पूर्ण रूप से पत्थरों से बना है। इसमें कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर के गर्भगृह एवं गुंबदों पर दुलर्भ देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई है। यहां नृत्य अवस्था में भगवान गणेश की प्रतिमा है। इसके अलावा कई अन्य देवी-देवताओं की दुर्लभ प्रतिमाएं है जो प्राचीन संस्कृति एवं कलाकृति का बेजोड़ नमूना है। इन्हें देखने के लिए लोग दूर दराज से यहां पहुंचते है।इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। प्रतिदिन के अलावा श्रावण मास में यहां हजारों की संख्या शिव भक्त पहुंचते है और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते है। इस घाटी में कभी 360 मन्दिर हुआ करते थे। अब एक ही मन्दिर बचा है बाकी सभी को ध्वस्त कर दिया। बचा हुआ ही नीलकंठ महादेव मन्दिर है। यहां सावन में श्रद्धालु हरिद्वार आदि स्थानों से गंगाजल लाकर चढ़ाते हैं।  नीलकंठ मंदिर भगवान शिव के भक्तों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है। मंदिर की दीवारें मूर्तियों से सुशोभित हैं जो मिनी खजुराहो कामुक शैली में निर्मित हैं। मंदिर के चारों ओर हरा-भरा जंगल है।