Alwar नीलकंठ महादेव मंदिर में नीलमणि पत्थर से बना हुआ शिवलिंग मौजूद
पत्थरों से बने हैं मंदिर के गुंबद
स्थानीय लोगों ने बताया कि विशेष बात यह है कि नीलकंठ महादेव मंदिर के गुंबद पूर्ण रूप से पत्थरों से बना है। इसमें कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर के गर्भगृह एवं गुंबदों पर दुलर्भ देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई है। यहां नृत्य अवस्था में भगवान गणेश की प्रतिमा है। इसके अलावा कई अन्य देवी-देवताओं की दुर्लभ प्रतिमाएं है जो प्राचीन संस्कृति एवं कलाकृति का बेजोड़ नमूना है। इन्हें देखने के लिए लोग दूर दराज से यहां पहुंचते है।इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। प्रतिदिन के अलावा श्रावण मास में यहां हजारों की संख्या शिव भक्त पहुंचते है और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते है। इस घाटी में कभी 360 मन्दिर हुआ करते थे। अब एक ही मन्दिर बचा है बाकी सभी को ध्वस्त कर दिया। बचा हुआ ही नीलकंठ महादेव मन्दिर है। यहां सावन में श्रद्धालु हरिद्वार आदि स्थानों से गंगाजल लाकर चढ़ाते हैं। नीलकंठ मंदिर भगवान शिव के भक्तों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है। मंदिर की दीवारें मूर्तियों से सुशोभित हैं जो मिनी खजुराहो कामुक शैली में निर्मित हैं। मंदिर के चारों ओर हरा-भरा जंगल है।
