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Alwar मॉडल स्कूल में प्री-प्राइमरी कक्षा एवं कला-वाणिज्य संकाय

 
Alwar मॉडल स्कूल में प्री-प्राइमरी कक्षा एवं कला-वाणिज्य संकाय
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  जिले के पिछड़े क्षेत्र के विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से 10 मॉडल स्कूलों का निर्माण किया गया था, लेकिन बरसों बीत जाने के बाद भी यह सपना अधूरा सा नजर आ रहा है। इन विद्यालयों में न कला संकाय है और न ही वाणिज्य। इसके चलते विद्यार्थी इन स्कूलों से दूर नजर आ रहे हैं। उधर, विभागीय अधिकारियों की अकर्मण्यता की वजह से आज तक कक्षा एक से पांचवी तक की कक्षाएं शुरू ही नहीं हो पाई हैं। अगर प्राइमरी कक्षाओं को शुरू कर दिया जाए तो ग्रामीण बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में अध्ययन कर अवसर मिले।

स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल योजना वर्ष 2013 में शुरू की गई थी, जिसके तहत प्रदेश में 134 मॉडल स्कूलों का निर्माण कराया गया। गहलोत सरकार के समय इन स्कूलों में प्राइमरी सेक्शन शुरू करने के लिए अलग बिल्डिंग बनाने के लिए बजट जारी किया गया था। अलवर के दस मॉडल स्कूलों में करीब 15 करोड़ रुपए खर्च करके बिल्डिंग का निर्माण भी कराया गया, लेकिन अभी तक प्राइमरी कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई हैं। प्रत्येक विधायक के कार्यक्षेत्र में एक स्कूल संचालित है, लेकिन न सरकार और न ही विधानसभा का चुना प्रतिनिधि स्कूलों पर ध्यान दे रहा है।

विज्ञान विषय लेने को मजबूर हैं विद्यार्थी : स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूलों में कक्षा 12 वीं में फिलहाल साइंस मैथ्स व बायलॉजी संकाय की सुविधा है। ग्रामीण परिवेश के ज्यादा विद्यार्थी आज भी कला संकाय को तवज्जो देते हैं, ऐसे में या तो बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ रहा है या फिर विज्ञान विषय को मजबूरीवश चुनना पड़ रहा है। इन इलाकों में रहने वाले परिवार इतने सक्षम नहीं हैं कि निजी अंग्रेजी विद्यालयों में अध्ययन कर सकें। वाणिज्य संकाय भी इन विद्यालयों में उपलब्ध नहीं है।

अलवर में यहां संचालित हैं स्कूल : स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल राजगढ़ के खो दरीबा, किशनगढ़बास के चोर बसई, रामगढ़ के बगड़ राजपूत, कठूमर के बडौदाकान, लक्ष्मणगढ़ के हरसाना, रैणी के डेरा, उमरैण के बालेटा एवं ब्लॉक थानागाजी, बानसूर, तिजारा में संचालित हैं।