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Alwar सरिस्का में बाघिन के प्रजनन पर प्रतिकूल प्रभाव न इसलिए ई-वाहन की तैयारी

 
Alwar सरिस्का में बाघिन के प्रजनन पर प्रतिकूल प्रभाव न इसलिए  ई-वाहन की तैयारी
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व की तर्ज पर अब सरिस्का में भी जल्द ही इलेक्ट्रिकल व्हीकल चलाने की तैयारी चल रही है। इसका प्रमुख कारण है कि वन्यजीवों पर ध्वनि व वायु प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। खासकर मादा टाइगर को प्रजनन के समय दिक्कतें होती हैं। 13 फरवरी को सरिस्का प्रशासन एक बैठक करने की योजना बना रहा है, जिसमें इस प्रस्ताव पर मंथन होगा। उम्मीद की जा रही है कि मार्च में ये प्रस्ताव वन मंत्री संजय शर्मा के जरिए विधानसभा में पास हो सकता है।

ये मादा टाइगर नहीं हो पाई प्रेग्नेंट : पांडूपोल साइड में एसटी-17 मादा टाइगर की टेरेटरी है। एसटी-12 भी यहां आती-जाती है। ये अब तक गर्भवती नहीं हो पाईं। इसी तरह मृतक एसटी-2 टाइग्रेस की बेटी एसटी-8 व एसटी-7 हैं। ये भी आज तक गर्भवती नहीं हो पाई हैं। इनकी आयु 10 साल से अधिक है। एक्सपर्ट बताते हैं कि मादा टाइगर के प्रेग्नेंट होने की आयु 3 साल से होती है। कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि वाहनों का शोर भी इसका कारण हो सकता है। हालांकि इस पर रिसर्च चल रही है। एसटी-5 व एसटी-3 भी गर्भवती नहीं हो पाई थी।

शोर के कारण प्रजनन क्षमता पर पड़ता है असर : एक्सपर्ट कहते हैं कि मादा टाइगर गर्भवती होने से पहले सुरक्षित स्थान या घर ढूंढ़ती है, जहां वह शावकों को जन्म दे सके। इस एरिया में जितनी मादा टाइगर हैं वह वाहनों की आवाज से प्रभावित होती हैं। बताते हैं कि कई मादा टाइगर इस क्षेत्र में प्रजनन नहीं करती। डीएफओ सरिस्का डीपी जागावत का कहना है कि ई व्हीकल का प्रस्ताव तैयार है। ये व्यवस्था होने पर वन्यजीवों को लाभ मिलेगा। सरिस्का क्षेत्र में ई व्हीकल संचालन के लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है। इस प्रस्ताव को जल्द आगे बढ़ाएंगे। 13 फरवरी को होने वाली बैठक में भी इस पर चर्चा की जाएगी।सरिस्का में पांडूपोल हनुमान जी का मंदिर है। यहां मंगलवार व शनिवार को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पेट्रोल व डीजल के वाहनों से दर्शन के लिए जाते हैं। मंदिर सरिस्का में है। इस मंदिर के आसपास कई टाइगरों की टेरेटरी है। अन्य वन्यजीव भी विचरण करते हैं। पेट्रोल व डीजल के वाहनों से वायु प्रदूषण ही नहीं फैलता बल्कि ध्वनि प्रदूषण वन्य जीवों को विचलित करता है। उनके कानों में वाहनों का ये शोर काफी समय तक बना रहता है। ऐसे में वह अपने को असुरक्षित भी महसूस करते हैं।