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अलवर जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी ने मौत को लगाया गले, काटा अपना गला, जानें पूरा मामला

 
अलवर जेल में बंद पाकिस्तानी कैदी ने मौत को लगाया गले, काटा अपना गला, जानें पूरा मामला 

अलवर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान के अलवर में सेंट्रल जेल परिसर में बने डिटेंशन केंद्र में एक पाकिस्तान के कैदी ने ब्लेड से अपना गला रेत कर सुसाइड करने का प्रयास किया। इस घटना से सेंट्रल जेल में हड़कंप मच गया। अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए। सूचना पर कोतवाली थाना पुलिस स्टेशन डिटेंशन सेंटर पहुंची। जहां पाकिस्तानी कैदी को लहू लुहान हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल उसका उपचार जारी है। सीरियल बम ब्लास्ट में टुंडा को बताया था मास्टरमाइंड, पढ़ें कोर्ट ने किस आधार पर किया अब्दुल करीम को बरी

पाकिस्तान के कैदी ने ब्लेड से अपनी गले को किया लहूलुहान

अलवर के सेंट्रल जेल में बने डिटेंशन सेंटर में पाकिस्तानी कैदी हामिद खान (48) पुत्र मोहम्मद हुसैन ने कहीं से ब्लड लेकर अपने गले को काट लिया। इस दौरान उसके गले से खून का फव्वारा फूट पड़ा। बाद में वहां मौजूद लोगों में हड़कम्प मच गया। इस मामले की सूचना डिटेंशन सेंटर के स्टाफ को लगी तो, उनके हाथ पैर फूल गए। इस मामले को लेकर तत्काल कोतवाली थाना पुलिस को सूचना दी गई। इस पर पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और पाकिस्तानी कैदी को अस्पताल में भर्ती कराया। अलवर में हिंदू लड़कियों को धर्म परिवर्तन और निकाह करने का दबाव, मुस्लिम लड़कों से जबरन दोस्ती नहीं करने पर धमकी, पढ़ें पूरी कहानी

2012 से अलवर के डिटेंशन सेंटर में बंद है पाकिस्तान कैदी

पाकिस्तान के पंजाब राज्य का रहने वाला हामिद खान वर्ष 2012 में अवैध रूप से बॉर्डर पर कर रहा था। इस पर उसे पकड़ लिया गया। इसके बाद से हामिद अलवर के सेंट्रल जेल में बने हुए डिटेंशन सेंटर में बंद है। पुलिस ने बताया कि हामिद खान की दिमागी हालत कमजोर है। अलवर के डिटेंशन सेंटर में करीब 28 कैदी बंद है। उधर, हामिद का आरोप है कि डिटेंशन सेंटर में उसे परेशान किया जा रहा है। इसके कारण उसने आत्महत्या करने का कदम उठाया। कौन हैं अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट केस में 10 साल बाद अजमेर कोर्ट ने इसके लिए क्या सुनाया फैसला


जिंदगी बेहद अनमोल है। मुश्किल वक्त हर किसी के जीवन में आता है, लेकिन थोड़ा हौसला और हिम्मत रखने से यह निकल भी जाता है। कुछ लोग जिंदगी की मुश्किल घड़ी में आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। मगर डिप्रेशन या तनाव पर समय रहते काबू पा लिया जाए, तो जिंदगी में उम्मीद का नया दरवाजा खुल जाता है। अगर आपका कोई जानने वाला व्यक्ति डिप्रेशन से जूझ रहा है तो वह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरो साइंस (NIMHANS) से संपर्क कर सकता है। यहां कॉल करके वह अपनी समस्या बता सकते हैं, जहां डॉक्टर उन्हें जरूरी सलाह देंगे। डिप्रेशन के लिए हेल्पलाइन नंबरः