अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर
प्रदेश के एनसीआर क्षेत्र अलवर और भरतपुर जिलों में अब तक 5.66 लाख से ज्यादा वाहनों को डी-रजिस्टर्ड किया जा चुका है। वहीं, स्क्रैप पॉलिसी लागू होने के बाद अवधिपार वाहनों के डी-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और तेज हो गई है। विगत छह माह में अलवर और भरतपुर में 57 हजार से ज्यादा वाहनों का परिवहन विभाग के पोर्टल पर डी-रजिस्टर्ड किया जा चुका है। राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले एनसीआर में शामिल हैं। एनसीआर के नियमानुसार इन दोनों जिलों में 10 पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन नहीं चल सकते। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की सख्ती के बाद वर्ष 2012 से इन दोनों जिलों में वाहनों के डी-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। जिसके तहत अभी तक अलवर जिले में 3 लाख 71 हजार 972 वाहनों को डी-रजिस्टर्ड किया जा चुका है। जिसमें 1 लाख 39 हजार 323 डीजल और 2 लाख 32 हजार 649 पेट्रोल वाहन शामिल हैं। वहीं, भरतपुर जिले में अब तक 73 हजार 243 डीजल और 1 लाख 21 हजार 577 पेट्रोल वाहन डी-रजिस्टर्ड किए जा चुके हैं।
छह महीने में 57 हजार वाहनों का पंजीयन खत्म : एनजीटी की सख्ती के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश के एनसीआर क्षेत्र में सितम्बर-2023 से स्क्रैप पॉलिसी लागू की जा चुकी है। जिसके तहत अलवर और भरतपुर जिलों में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को डी-रजिस्टर्ड कर स्क्रैप किया जाएगा। स्क्रैप पॉलिसी लागू होने के बाद से अब तक करीब छह महीने में अलवर जिले में 32 हजार और भरतपुर जिले में 25 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन खत्म किया जा चुका है। इनमें से जिन डीजल वाहनों को 15 साल नहीं हुए हैं उनके मालिक अन्य जिलों से रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया में जुटे हैं।परिवहन विभाग के आंकड़ों अनुसार अलवर और भरतपुर जिलों में फिलहाल करीब 11 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं। जिनमें अलवर में 6 लाख 57 हजार 46 वाहन हैं। वहीं, भरतपुर में 4 लाख 29 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन है।