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Alwar और मत्स्य नगर डिपो में आधी से ज्यादा बसें 10 साल पुरानी

 
Alwar और मत्स्य नगर डिपो में आधी से ज्यादा बसें 10 साल पुरानी
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर और मत्स्य नगर डिपो में रोडवेज की खुद की ज्यादातर बसें कंडम हो चुकी हैं। इनमें कई बसें तो ऐसी हैं, जो रोड पर चलने लायक तक नहीं हैं, लेकिन फिर भी उन्हें रूट पर चलाया जा रहा है। गर्मी, सर्दी और बरसात में इन खटारा बसों का सफर करना यात्रियों के लिए यातना से कम नहीं। जिले में रोडवेज के अलवर और मत्स्य नगर डिपो में 178 बसें हैं। जिनमें 108 रोडवेज तथा 70 अनुबंधित बसें शामिल हैं। दोनों डिपो में रोडवेज की 108 में से 30 बसें साल 2012 और 2013 की बीएस-4 मॉडल की बसें है, जो कि रोडवेज के नियमानुसार 8 लाख किलोमीटर और 10 साल की अवधि दोनों ही पूरे कर चुकी हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर बसें अभी भी रूटों पर चलाई जा रही है। दिल्ली में केवल बीएस-6 मॉडल वाहनों के संचालन के कारण इन खटारा बसों को वहां नहीं भेजा रहा। दिल्ली रूट पर केवल बीएस-6 मॉडल की अनुबंधित बसों को ही भेजा रहा है।

किसी की छत टपक रही तो कहीं टूटे शीशों से आ रहा पानी: जानकारी के अनुसार अलवर और मत्स्य नगर डिपो में 40 से ज्यादा बसें ऐसी हैं। जिनमें किसी की छत टूटी हुई है तो किसी की बॉडी डेमेज हो चुकी है। इन बसों की खिड़कियों के शीशे टूटे पड़े हैं। बारिश के मौसम में इन बसों की छत से झरने बह रहे हैं तथा टूटी खिड़कियों से पानी की बौंछार आती हैं। जिससे यात्रियों को भीगकर सफर करना पड़ रहा है। कई बसों की बॉडी नीचे से गल चुकी है। वहां धूल-मिट्टी और कीचड़ का पानी तक बसों में अंदर पहुंच रहा। कई बसों के टायर घिसे हुए हैं, जो बार-बार रास्ते में पंचर हो रहे हैं। इन बसों की टूटी खिड़की और बॉडी से गर्मी में लू के थपेड़े और सर्दी में शीत लहर यात्रियों को परेशान करती है।

नई बसों का इंतजार

अलवर डिपो में कुल 101 बसें हैं, जिनमें से 72 रोडवेज तथा 29 अनुबंधित बसें हैं। वहीं, मत्स्य नगर डिपो में कुल 77 बसें हैं। इनमें से रोडवेज की 26 और अनुबंधित 41 बसें हैं। रोडवेज के पास खुद की बीएस-6 मॉडल की एक भी बस नहीं है। अनुबंधित 70 गाड़ियों में से 29 बसें बीएस-6 मॉडल की हैं, जो कि दिल्ली व एनसीआर जैसे महत्वपूर्ण रूटों पर चल रही हैं। ऐसे में अब अलवर और मत्स्य नगर दोनों डिपो को नई बसों का इंतजार है।