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Mob Lynching Case: अलवर माॅब लिचिंग केस में कोर्ट ने सुनाया फैसला, चार आरोपियों को 7-7 साल की सजा एक बरी

 
Mob Lynching Case: अलवर माॅब लिचिंग केस में कोर्ट ने सुनाया फैसला, चार आरोपियों को 7-7 साल की सजा एक बरी

अलवर न्यूज डेस्क। अलवर जिले में रामगढ़ थाना क्षेत्र के ललावंडी गांव में करीब पांच साल पहले गोतस्करी के शक में रकबर मॉब लिंचिंग केस मामले में अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों को दोष सिद्ध करार करते हुए सात-सात साल की जेल की सजा सुनाई है। जबकि एक अन्य आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। न्यायालय द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद चारों आरोपियों को पुलिस ने अपनी कस्टडी में ले लिया। अब उन्हें ज्यूडिशियल कस्टडी में सौंपा जाएगा।

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विशेष अभियोजक एडवोकेट अशोक शर्मा ने बताया कि आरोपी नवल किशोर को साक्ष्य अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया है। वहीं चार आरोपी परमजीत, नरेश, विजय और धर्मेंद्र को धारा-341 और 304 के पार्ट प्रथम में आरोप सिद्ध आरोप सिद्ध होने पर सात-सात साल की कारावास की सजा सुनाई गई है। उन्होंने बताया कि एडीजे नंबर-1 कोर्ट के न्यायाधीश सुनील कुमार गोयल ने फैसला सुनाते हुए धारा-304 पार्ट प्रथम में चारों आरोपियों को सात-सात साल की सजा और 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया है। वहीं, धारा-341 में एक-एक महीने की सजा और 500 के अर्थदंड से दंडित किया गया है। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। इस सजा में जो कस्टडी इन्होंने पूर्व में भुगत ली थी, इस सजा में उसका लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से तो वह खुश हैं। लेकिन दंडादेश से प्रसन्न नहीं है, इसलिए अभी फैसले की कॉपी लेने के बाद निर्णय लिया जाएगा। साक्ष्य अभाव में बरी हुए नवल किशोर के मामले में निर्णय की कॉपी के बाद तय करेंगे। अगर संतोषजनक हुआ तो सही है, नहीं तो आगामी उच्च कोर्ट में अपील की जाएगी।

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एडवोकेट अशोक शर्मा ने बताया कि मोबाइल पर बातों के आधार पर नवल किशोर को आरोपी बनाया गया था। लेकिन कोर्ट ने उस एविडेंस को नहीं माना और उसे संदेह का लाभ दिया। इधर, आरोपी पक्ष एडवोकेट हेमराज गुप्ता ने बताया कि सभी आरोपियों से एक धारा- 147 धारा 302 हटा ली गई है और एक को बरी किया गया है। अब धारा-341, 304 पार्ट प्रथम में फैसला हुआ है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सजा को लेकर हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में न्यायिक जांच हुई थी, जिसमें पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया था। लेकिन अदालत ने उस एक जांच को नजरअंदाज किया है। जबकि हमारी ओर से पत्रावली पेश की गई थी। इसके अलावा असलम के बयान में भी कोई आरोपी का नाम नहीं था और अभियोजन पक्ष ने जानबूझकर कोर्ट में उस रिपोर्ट को प्रस्तुत नहीं किया। एक व्यक्ति की मौत पुलिस अभिरक्षा में हुई थी। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक से लेकर उच्च अधिकारियों तक पुलिस के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा गया था। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।