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Alwar का इंदौर बनना मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं

 
Alwar का इंदौर बनना मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं

अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर नगर निगम अलवर को अब इंदौर बनाने के सपने देख रहा है। सपना देखना बुरी बात नहीं है, लेकिन उसे अमलीजामा पहनाना कठिन होता है। ऐसे में अलवर का इंदौर बनना मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं। नगर निगम के मेयर घनश्याम गुर्जर व उनकी टीम ने तीन दिन इंदौर के पूरे स्वच्छता के सिस्टम को समझा। अब उसी के मुताबिक यहां भी इंदौर मॉडल तैयार हो रहा है। कागजों पर पूरा प्लान उतरने के बाद उसे धरातल पर उतारने की तैयारी है। महापौर ने बताया कि इंदौर में किसी ने कचरा फैलाने पर जुर्माना न लगाने की सिफारिश भी की तो समझिए उस पर जुर्माना डबल हो जाएगा। 

इंदौर नगर निगम का बजट 7500 करोड़ रुपए का है। यह पैसा खुद निगम अपने स्रोत से इकट्ठा करता है। कचरा निगम बेचता है और करोड़ों रुपए की सालाना आय होती है। वहां ठेका प्रथा नहीं है। निगम ही घर-घर से कचरा उठाता है। कूड़ेदान मुक्त शहर है। लोग गीला व सूखा कचरा अलग-अलग इकट्ठा करते हैं। ऑटो टिपर भी गीले, सूखे कचरे के अलग आते हैं। कचरे को अलग करने के लिए पूरी टीम बैठी है, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। पेड़ों की पत्तियां या हरे कचरे का निस्तारण अलग से होता है। उससे कंपोस्ट बनती है जो बागों में खाद का काम करती है।

नगरपालिका अधिनियम के तहत बनाए नियमों का पूरा पालन होता है। जुर्माने के डर से कोई कचरा नहीं फैलाता। सबसे महत्वपूर्ण वहां के लोगों की सोच में 5 साल में बड़ा बदलाव आया। लोगों ने अपने जीवन में स्वच्छता को महत्व दिया।वर्ष 2015 में पशुओं का विचरण खूब था। शुरुआत में इंदौर नगर निगम को पसीना बहाना पड़ा। इसको लेकर हादसे भी हुए लेकिन निगम ने जो ठाना था वह किया, जनता खुद समझ गई। पशुपालकों ने अपने पशु शहर से बाहर कर लिए।

होर्डिंग-बैनर के लिए आधुनिक तरीके अपनाए गए। अवैध होर्डिंग एक नजर नहीं आता।

नगर निगम ने छोटी-छोटी जगहों का प्रयोग पार्किंग के लिए किया। ऐसे में जाम की समस्या खत्म हो गई।

हाउस टैक्स आदि की व्यवस्था बेहतर है। कचरा संग्रहण भी काफी मजबूत है।