बंदरों के उत्पात से लोगों का घरों से निकलना मुश्किल, गलियों में श्वानों का भी बना भय का माहौल
कस्बे में बंदरों के उपद्रव और कुत्तों के हमलों के कारण लोगों का घरों से बाहर निकलना दूभर हो रहा है। आरोप है कि पालिका प्रशासन के पास भी आमजन को इनसे बचाने के लिए कोई उपाय नहीं है। पार्षदों ने बोर्ड बैठक में भी इस समस्या को उठाया था, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बंदर लोगों को देखते ही उनकी ओर दौड़ पड़ते हैं। बंदरों के डर से बच्चे और महिलाएं घरों से बाहर निकलने से कतराते हैं। घर की छत पर जाना भी दूभर हो गया है। मंडी के पीछे होने के कारण ब्रज बिहार कॉलोनी सबसे ज्यादा प्रभावित है।
अनाज मंडी नजदीक होने के कारण यहां बड़ी संख्या में बंदरों ने डेरा जमा रखा है। ब्रज विहार कॉलोनी निवासी पार्षद पति ओमप्रकाश लालपुरिया को बंदरों ने काटकर घायल कर दिया था। इससे पहले वार्ड नंबर 18 निवासी पूर्व पार्षद कमल नरूका पर बंदरों ने हमला कर दिया था। उनसे बचने के प्रयास में वह छत से नीचे गिर गए और उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया। वार्ड 22 के पार्षद महावीर गौतम भी बंदरों के हमले में घायल हो गए। कजोड़ी मोहल्ला की एक महिला भी बंदरों के डर से छत से कूद गई, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन नगर पालिका कमेटी बनाने तक ही सीमित रही। जिसकी कोई बैठक नहीं हुई।
टेंडर जारी कर कुछ दिन बाद निरस्त कर दिया गया
नगर पालिका में बंदरों को पकड़ने के लिए टेंडर जारी किया गया और कुछ दिन बाद निरस्त कर दिया गया। नगर पालिका की बोर्ड बैठक में भी यही मामला उठाया गया, लेकिन समाधान वही रहा। बाजार में उत्पाती बंदरों द्वारा राहगीरों से सामान छीनने जैसी घटनाएं आम हैं। यही हाल बेसहारा गायों, बछड़ों और नंदियों का है, जो जगह-जगह सड़क जाम करते रहते हैं। ये बाजार में सब्जी के ठेलों के आसपास घूमते रहते हैं। फेंकी गई सड़ी-गली सब्जी खाते हुए झगड़ते हैं। जिससे कई बार राहगीर भी चपेट में आ चुके हैं। गली-मोहल्लों में कुत्तों की भरमार होने से लोगों का दिन में भी निकलना मुश्किल हो रहा है। ये छोटे-छोटे बच्चे मोटरसाइकिल आदि वाहनों के पीछे भागते हैं। नगर पालिका इस ओर कोई ध्यान नहीं देती।
घरों से सामान उठा ले जाते हैं
बंदर घरों में घुसकर सामान उठा ले जाते हैं। भगाने पर हमला कर देते हैं। बंदरों से तंग आकर लोगों ने अपने घरों को चारों तरफ से जाल से ढक दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बारे में कई बार नगर पालिका प्रशासन से शिकायत की, लेकिन आज तक बंदरों को पकड़ने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। नगर पालिका की ढिलाई के कारण बंदरों के हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हम दोबारा टेंडर करेंगे। इस संबंध में टेंडर जारी किया गया था, जिसमें केवल एक ठेकेदार ने आवेदन किया था। जिसका रेट बहुत ज्यादा था। हमने उससे रेट कम करने को भी कहा है, लेकिन वह नहीं मान रहा है। या तो समझौता हो जाए, नहीं तो हम दोबारा टेंडर करेंगे। नरसी मीना, अधिशासी अधिकारी, खेरली।
