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Alwar श्मशान-कब्रिस्तान के विकास कार्यों की मंजूरी में अनियमितता, जांच रिपोर्ट में घपला

 
Alwar श्मशान-कब्रिस्तान के विकास कार्यों की मंजूरी में अनियमितता, जांच रिपोर्ट में घपला 
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर गुरुगोलवरकर जन सहभागिता योजना की जांच में गड़बड़झाला उजागर हुए तीन साल से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। तत्कालीन ग्रामीण विकास विभाग के परियोजना निदेशक पदेन उप सचिव (एसएपी ) ने 15 महीने पहले 18 जनवरी, 2023 को पूरे मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट भी प्रशासनिक विभाग से मांगी थी, लेकिन नहीं भेजी गई। अब मामला फिर से सरकार के पास पहुंचा है। जिला परिषद की सीईओ प्रतिभा वर्मा ने कहा कि इस प्रकरण को दिखाया जाएगा।  ग्रामीण विकास विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान व कब्रिस्तान में विकास कार्य कराने के लिए संचालित गुरुगोलवलकर जन सहभागिता योजना में बड़ी अनियमितताएं उजागर हुई थी। इस योजना में कुल स्वीकृत राशि का 10 फीसदी जन सहयोग से जमा होता है और बाकी 90 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से स्वीकृत की जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति जिला कलक्टर से अनुमोदित होती है।

2018 में हुई थी शिकायत: वर्ष 2018 में पंचायत समिति तिजारा की ग्राम पंचायत रूपबास, पालपुर व मायापुर के सरपंचों ने मिलकर तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी को शिकायत सौंपी थी। जिसमें सरपंचों ने योजना में स्वीकृति की एवज में कार्मिकों की ओर से अवैध लाभ प्राप्त करने की मांग सहित कई अन्य अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया था। इस पर जांच हुई और योजना में जारी की गईं स्वीकृतियों में भारी अनियमितताएं पाई गई। जांच अधिकारी ने कई सिफारिशें भी की थीं, लेकिन जिला परिषद में लागू नहीं हो पाई। ये मामला अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इसकी शिकायत अब सरकार तक पहुंची है।

जांच अधिकारी ने पाया कि वर्ष 2017-18 में योजना की स्वीकृतियों में पारदर्शिता नहीं बरती गई। योजना के दिशा-निर्देश, पंजिका व परिपत्रों की पालना नहीं की गई। इन परिपत्रों में वरीयता पंजिका में कार्य के दर्ज होने की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया है। सॉफ्टवेयर से मिलान करने पर वर्ष 2017-18 में कार्य वरीयता पंजिका में दर्ज मिले, लेकिन उनकी स्वीकृति जारी नहीं की गई, जबकि कुछ कार्यों की स्वीकृति जारी मिली, लेकिन वे वरीयता पंजिका में दर्ज नहीं थे। कुछ कार्य ऐसे भी मिले, जिनके प्रस्ताव समय से कार्यालय में प्राप्त हो गए थे, लेकिन उनकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी करने में विलंब किया गया। वहीं, वर्ष 2018-19 में कार्यों का विवरण ऑनलाइन सूची में दर्ज था, लेकिन वरीयता पंजिका में दर्ज नहीं था। जांच में कई ऐसे भी कार्य मिले जिनकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई लेकिन वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की गई।