Alwar निगम गठन के 6 माह बाद भी सरकार ने कोई विशेष बजट भी नहीं किया जारी

आय का जरिया ये काम बन सकते : एक्सपर्ट धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि नगर निगम को डोर-टू-डोर कचरा संग्रह हर वार्ड में लागू करना होगा, जिसके जरिए 30 करोड़ रुपए तक सालाना निगम के खाते में कलेक्शन आ सकता है। 50 रुपए से लेकर 100 रुपए तक मासिक शुल्क कचरा संग्रहण का लिया जा सकता है। इसके अलावा हाउस टैक्स के जरिए भी सालाना 10 करोड़ रुपए तक आ सकते हैं। नगर निगम अपने पार्कों में बच्चों के मनोरंजन के साधन जैसे भूलभुलैया आदि विकसित कर सकती है। विज्ञान पार्क से लेकर अन्य थीम के प्रोजेक्ट लाकर करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष कमाए जा सकते हैं। दुकानें, बाजार आदि निगम अपने बना सकता है। इससे भी आय होगी। अन्य साधनों पर भी विचार किया जा सकता है। नगर निगम आयुक्त मनीष कुमार का कहना है कि आय बढ़ोत्तरी आदि पर काम हो रहा है। जल्द ही प्रस्ताव सामने आएंगे। बोर्ड बैठक में ये प्रस्ताव रखे जाएंगे।
45 करोड़ साल में वेतन पर हो रहे खर्च
नगर निगम का बजट अभी 190 करोड़ तक था। ये अधिकांश रकम केंद्र व प्रदेश सरकार के जरिए निगम को मिलती थी। इस रकम में सालाना करीब 45 करोड़ रुपए वेतन के होते हैं। करीब 10 करोड़ रुपए निगम अपने साधनों के जरिए कमाता है। अभी निगम के खाते में करीब 50 करोड़ रुपए हैं। देनदारी निगम के पास किसी की नहीं है। यानी अभी मुनाफे में है। जैसे ही बजट 300 करोड़ पहुंचेगा तो आय के साधनों को बढ़ाना होगा। जानकार कहते हैं कि नगर परिषदों को ही सरकारें बजट अधिक आवंटित करती हैं लेकिन नगर निगम को खुद अपने साधनों के जरिए बजट जुटाना होगा। इस पर काम करने की आवश्यकता है जो अभी तक नहीं हुई है।