Alwar गाय के चमड़े की मांग बढ़ी, बड़कुल्या भी मिलते रेडीमेड
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गायत्री शक्तिपीठ में भी तैयार हो रही गोकाष्ठ
अलवर शहर के गायत्री मंदिर रोड पर गायत्री शक्तिपीठ में इसी साल गोशाला का संचालन शुरू किया है। यहां पर भी मशीन से गोकाष्ठ तैयार की जा रही है। इसके साथ गाय के गोबर की बिलूकडियां भी तैयार की जा रही है जो कि होलिका की पूजा में काम आती है।
मशीन से गोकाष्ठ हो रही है तैयार
रेलवे स्टेशन के समीप सार्वजनिक गोशाला में करीब 700 गोवंश हैं। यहां पर गाय के गोबर का सदुपयोग करते हुए मशीन से प्रतिदिन बड़ी संख्या में गोकाष्ठ तैयार की जा रही है। जिसे धूप में सुखाया जाता है। गोशाला के संचालक अजय अग्रवाल बताया कि लकड़ी बहुत महंगी है, जबकि गोकाष्ठ सस्ती रहती है। गोशाला में मात्र दस रुपए प्रतिकिलो में गोकाष्ठ दी जा रही है। एक स्थान पर होलिका दहन में करीब 150 किलोग्राम गोकाष्ठ का इस्तेमाल होता है। दहन के दौरान होने वाले गैसों के उत्सर्जन में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा 27 प्रतिशत होती है। होलिका दहन में 500 किलो लकड़ी का इस्तेमाल होता है व दहन के दौरान 100 प्रतिशत कार्बन-डाई-ऑक्साइड निकलती है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। गोकाष्ठ के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए गोसेवकों की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।