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Alwar 2017 उपचुनाव के नतीजे दोहराने की तैयारी में कांग्रेस

 
Alwar 2017 उपचुनाव के नतीजे दोहराने की तैयारी में कांग्रेस
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  लोकसभा चुनाव इस बार कांटे का हो सकता है। कांग्रेस ने भाजपा को घेरने के लिए चारों ओर से तैयारी कर ली है। भाजपा भी अपना पिछला रेकॉर्ड तोडऩे को आतुर है। कांग्रेस वर्ष 2017 के उपचुनाव के परिणामों को दोहराने की तैयारी में हैं। यही नहीं, पांच विधानसभा सीटों के साथ-साथ शहर की विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस इस चुनाव के जरिए कब्जा करने की तैयारी में है।

कांग्रेस ने परिणाम देकर चौंकाया : वर्ष 2008 से शहर विधानसभा से भाजपा का कब्जा चला आ रहा है। दो बार बनवारी लाल सिंघल विधायक रहे और दूसरी बार संजय शर्मा जीते। कांग्रेस 2008 से लेकर 2016 तक शहर विधानसभा में कमाल नहीं कर पाई। वर्ष 2017 में सांसद महंत चांदनाथ के निधन होने के बाद उपचुनाव हुए। उस दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। साथ ही अलवर लोकसभा में सर्वाधिक विधायक भी भाजपा के थे। कांग्रेस ने डा. करण सिंह यादव पर दाव लगाया। वहीं भाजपा ने डा. जसवंत सिंह यादव को मैदान में उतारा।

गिरा शहर में भाजपा की जीत का अंतर : भाजपा की सरकार में उस समय दो लोकसभाओं में उपचुनाव हुए। इन दोनों सीटों पर सबकी नजरें टिकी थीं। कांग्रेस व भाजपा ने पूरी ताकत लगा दी। अलवर लोकसभा का परिणाम सामने आया तो कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा प्रत्याशी को 1.96 लाख वोटों से हराया था। कांग्रेस को 6.42 लाख वोट मिले थे। वहीं भाजपा को 4.45 लाख वोट। शहर समेत अधिकांश विधानसभाओं में कांग्रेस को बंपर वोट मिले। इस बार विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की जीत का अंतर महज 9 हजार वोट रहा था जबकि एक समय में ये अंतर 62 हजार से लेकर 22 हजार तक रहा था। कांग्रेस इस सीट को भी उम्मीद से देख रही है। उसी के हिसाब से रणनीति बना रही है। कांग्रेस के पास पहले ही 5 विधानसभाओं में वोटों की बढ़त है। हालांकि भाजपा के पास वोटरों की यहां कमी नहीं है। भाजपा ने साफ कर दिया है कि पिछले लोकसभा चुनाव में साढ़े तीन लाख से जीत दर्ज हुई थी। इस बार 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत होगी।