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Alwar बेटियों की जन्मदर बढ़ी, थानागाजी और रैणी में बेटों से ज्यादा बेटियां

 
Alwar बेटियों की जन्मदर बढ़ी, थानागाजी और रैणी में बेटों से ज्यादा बेटियां
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर दंगल फिल्म का एक डायलॉग है, म्हारी छोरियां छोरों से कम है के। यह डायलॉग बहुत फेमस हुआ और आज आप देख भी सकते हैं कि किस तरह लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से आगे नजर आ रही है। लिंगानुपात पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। अलवर जिले में शिक्षा व जागरूकता के कारण बेटियों का मान साल दर साल बढ़ रहा है। साल 2012 में अलवर जिले में एक हजार बेटों पर 912 बेटियों का जन्म हुआ था। वहीं, साल 2023 में लिंगानुपात का आंकड़ा 944 पर पहुंच गया है। इसमें थानागाजी व रैणी ब्लॉक में तो बेटों से भी ज्यादा बेटियों का जन्म हुआ। इसके साथ ही अन्य कई ब्लॉक में भी लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है।

दो ब्लॉकों में बेटियां हुई बेटों से ज्यादा : घर परिवार में बरकत कहीं जाने वाली बेटियों की साल 2022-23 में जिले के पांच ब्लॉक में जन्मदर बेहतर रही। इन पांच में से दो ब्लॉक में बेटियों की जन्मदर बेटों से अधिक रही। इसमें सबसे अधिक रैणी में 1076 और थानागाजी में लिंगानुपात 1030 रहा। तीसरे नंबर पर मुंडावर में 979 व चौथे स्थान पर कोटकासिम में लिंगानुपात 974 रहा। वहीं, लिंगानुपात में पांचवे स्थान पर रामगढ़ में एक हजार लड़कों पर 971 बेटियों की किलकारी गूंजी।

यहां घटी बेटियों की जन्मदर : साल 2022 के मुकाबले बेटियों की जन्मदर में बहरोड़, खेरली मंडी, किशनगढ़बास व कोटकासिम आदि ब्लॉक में 2023 के मुकाबले कुछ कमी रही। हालांकि इन ब्लॉक में भी पिछले साल की तुलना में निंगानुपात में सुधार हुआ है।

जिले में 161 बुजुर्गों की उम्र 99 साल से ज्यादा : जिले में 161 बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनकी उम्र 99 साल से ज्यादा है। इनमें तिजारा में सर्वाधिक 22 बुजुर्गों की उम्र 99 साल से ज्यादा है। ये सभी बुजुर्ग विभाग की ओर से पेंशन भी ले रहे हैं। बानसूर के लोग 75 से 100 साल तक का जीवन आसानी से जी रहे हैं। यहां पर करीब 2,451 बुजुर्ग हैं जिनकी आयु 75 से 100 साल के बीच है। इसके साथ ही तिजारा, रामगढ़, कठूमर, उमरैण के लोग भी 75 से अधिक उम्र जी रहे हैं।

निगरानी व जागरूकता आई काम

शिक्षा के साथ आमजन में जागरूकता बढ़ने से लिंगानुपात में सुधार आया है। इसके साथ ही विभाग की ओर से अल्ट्रासाउंड पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इसके लिए इसे जीपीएस सिस्टम से जोड़कर इसकी प्रभावी ट्रैकिंग की जा रही है। ताकि भ्रूण लिंग परीक्षण पर प्रभावी रोक लग सके। विभाग कड़ी निगरानी के साथ ही आमजन को भी लड़का व लड़की में कोई फर्क नहीं करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पीसीपीएनडीटी सैल के प्रसव के आंकड़ों के अनुसार साल 2015-16 में लिंगानुपात 912 था। इसके अगले साल 2016-17 में 931 व साल 2017-18 में लिंगानुपात 916 रहा। इसी तरह 2018-19 में 929 व 2019-20 में लिंगानुपात 925 रहा। इसके बाद 2020-21 व 21-22 में लिंगानुपात 935 और साल 2022-23 में बढ़कर 944 पर पहुंच गया। ये बहुत अच्छा संकेत है।