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Alwar पांडुपोल के करीब आएगा भर्तृहरि धाम, विभाग कर रहा तैयारी

 
Alwar पांडुपोल के करीब आएगा भर्तृहरि धाम, विभाग कर रहा तैयारी
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  जिले को धार्मिक टूरिज्म के रूप में विकसित करने की दिशा में काम शुरू हो गया है। इसके तहत पांडूपोल और भर्तृहरि धाम को आपस में जोड़ा जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार हो रहा है। लोकसभा चुनाव बाद इस पर काम शुरू होगा। यह प्रस्ताव पास हुआ तो दोनों धार्मिक स्थलों के बीच फासला कम हो जाएगा। वन विभाग ने श्रद्धालुओं की राह आसान करने के लिए यहां टनल की संभावनाएं तलाश रहा है। ताकि श्रद्धालु आसानी से दोनों धार्मिक स्थलों के दर्शन कर सके। दोनों के बीच करीब 22 किमी की दूरी है।

मंजूरी लेना आसान नहीं : अरावली पर्वत शृंखला के बीच ये दोनों स्थान स्थित हैं। पांडूपोल से कालीघाटी होते हुए ही भर्तृहरि धाम रास्ता जाता है। ऐसे में कालीघाटी ही दोनों धार्मिक स्थलों का केंद्र है। यहीं से टनल का रास्ता तलाशा जा रहा है। अरावली की पहाड़ी से ही टनल निकल सकती है। ये पहाड़ी एरिया करीब 16 किमी का होगा लेकिन इस प्रक्रिया से वन्यजीव प्रभावित न हो, इस पर मंथन चल रहा है। हालांकि वन विभाग से मंजूरी लेना आसान नहीं है।

नाहर सती मंदिर से भी पांडूपोल तक पहुंच आसान होगी : नाहर सती मंदिर से पांडूपोल तक श्रद्धालु आसानी से आ-जा सकें। रास्ता सुगम हो और समय की बचत हो। इसके लिए वन विभाग रोप-वे से लेकर दीवार बनाने तक का विकल्प तलाश रहा है। करीब 8 किमी दोनों के बीच दूरी है। वन विभाग का सोचना है कि यदि दीवार बनाकर वन्य जीवों को सुरक्षित कर दिया जाए तो बीच से दोपहिया व पैदल लोग निकल सकेंगे। इसका केंद्र भी कालीघाटी ही है। यदि नाहर सती मंदिर को टनल से किसी रूप में जोड़ा जाता है तो फिर दूरी और ज्यादा बढ़ जाती। खर्च हजारों करोड़ में आएगा। हालांकि टनल बनेगी तो रकम केंद्र सरकार से भी लेने की योजना है।