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जयपुर नगर निगम बनने से पूर्व CM अशोक गहलोत का पारा हाई, गुजरात का उदाहरण देते हुए कह दी इतनी बड़ी बात

 
जयपुर नगर निगम बनने से पूर्व CM अशोक गहलोत का पारा हाई, गुजरात का उदाहरण देते हुए कह दी इतनी बड़ी बात 

राजस्थान की भजनलाल सरकार ने निकाय चुनाव से पहले जयपुर के दो नगर निगमों का विलय कर दिया है। अब जयपुर में हेरिटेज या ग्रेटर नहीं बल्कि सिर्फ एक नगर निगम होगा, जिसे जयपुर नगर निगम कहा जाएगा। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और गुजरात मॉडल का हवाला देकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा।

'विकास की विपरीत दिशा में बढ़ रही है सरकार'

कांग्रेस नेता ने एक्स पर लिखा, 'जनवरी 2025 में गुजरात सरकार ने वहां नगर निगमों की संख्या में वृद्धि की और 9 नए नगर निगम बनाए, जिसका कारण शहरी विकास को गति देना बताया गया। भाजपा सरकारें गुजरात मॉडल को आदर्श मानती हैं। लेकिन, राजस्थान की भाजपा सरकार इस गुजरात मॉडल को पूरी तरह विफल मानती है। इसीलिए यहां योजनाबद्ध शहरी विकास के लिए आबादी के अनुपात में हमारी सरकार के दौरान बनाए गए नगर निगमों और नगर पालिकाओं की संख्या कम की जा रही है। यह शायद देश का पहला उदाहरण है, जिसमें सरकार विकास के क्रम में विपरीत दिशा में बढ़ रही है।'

2019 में गहलोत राज में बने थे 2 नगर निगम
जयपुर को मूल रूप से 2019 में गहलोत सरकार ने हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम में विभाजित किया था। राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 3, 5, 6 और 10 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने ग्रेटर नगर निगम और नगर निगम हेरिटेज का विलय कर दिया है। हालांकि, यह विलय दोनों निगमों का मौजूदा कार्यकाल पूरा होने के बाद ही प्रभावी होगा।

250 वार्डों का पुनर्गठन कर 150 नए वार्ड बनाए जाएंगे
जयपुर नगर निगम की स्थापना 1994 में जयपुर नगर परिषद से अलग करके की गई थी। समय के साथ जनसंख्या में वृद्धि के कारण वार्डों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन निगम की सीमाएं अपरिवर्तित रहीं। 1994 में 70 वार्ड बनाए गए, जबकि 2004 में इन्हें बढ़ाकर 77 वार्ड और 2014 में इन्हें और बढ़ाकर 91 वार्ड कर दिया गया। विलय के साथ, मौजूदा 250 वार्डों को 150 नए वार्डों में पुनर्गठित किया जाएगा।

3-4 वार्डों को मिलाकर एक वार्ड बनाने की योजना
इससे पहले 2019 में, पिछली कांग्रेस सरकार ने वार्डों की संख्या 91 से बढ़ाकर 250 कर दी थी। अब, मौजूदा भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार तीन से चार वार्डों को मिलाकर एक वार्ड बनाने की योजना बना रही है, जिससे प्रति वार्ड की आबादी 9,000-13,000 से बढ़कर 20,000-30,000 हो जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, 78 गांव अब जयपुर नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आएंगे।