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Alwar का लाल प्याज देश में जमा रहा 'धाक', तैयार होने लगी पौध

 
Alwar का लाल प्याज देश में जमा रहा  'धाक', तैयार होने लगी पौध
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर जिले के आधे किसानों की रीढ़ मजबूत करने में लाल प्याज का बड़ा योगदान है। कई तहसील लाल प्याज की खेती के लिए जानी जाती हैं। इसमें रबी सीजन की सरसों की फसल की कटाई होने के बाद जून-जुलाई में लाल प्याज की रोपाई करने के लिए बीज यानी पौध तैयार की जाती है। इसकी खेती काफी मुनाफा किसानों को देती है। अलवर का लाल प्याज देश के विभिन्न शहरों में धाक जमाए है। हर साल किसानों की ओर से लाल प्याज की रोपाई के रकबे में बढ़ोतरी हो रही है। अलवर में पिछले साल प्याज का रकबा 16500 हैक्टेयर था, जो इस साल बढ़कर 18500 हैक्टेयर हो गया।

गुणवत्तायुक्त बीज तैयार कर रहे किसान : अलवर के किसानों ने प्याज का बीज तैयार करना शुरू दिया है। अब जिले में कई हजार क्विंटल प्याज का बीज तैयार किया जाएगा। किसान अलवर में ही गुणवत्तायुक्त बीज तैयार करते हैं। इससे प्याज की फसल भी बेहतर होती है। कई वर्षों से अलवर में अच्छी किस्म के बीज से पौध तैयार होने के बाद दूसरे राज्यों की पौध की आवक बंद हो ई है। इससे किसानों को डबल फायदा हो रहा है।

एक बीघा में 20 से 50 हजार का खर्चा

एक बीघा में लाल प्याज की रोपाई की जाती है तो उसमें किसानों का 20 से 50 हजार तक का खर्च आता है। इसकी पौध मार्च-अप्रेल माह में तैयार होनी शुरू होती है जो अभी की जा रही है। दो से तीन माह का समय लगता है। पौध तैयार होने के बाद खेतों से पौध को उखाडकर सूखने के लिए रख दिया जाता है। उद्यान विभाग लाल प्याज की पौध और लाल प्याज भंडारण के लिए अनुदान भी दे रहा है। इससे किसानों को पौध उखाड़ने के बाद भंडारण में राहत मिली है। इससे पहले किसानों की ओर से टीन और टप्पर के नीचे लाल प्याज की पौध रखी जाती है। अब किसान भंडार ग्रह बनाने लगे हैं। अलवर जिले में किसान लाल प्याज की पौध तैयार करने में जुटे हुए हैं। इस बार पिछले साल के रकबे से अधिक रोपाई होने की संभावना है। परंपरागत फसल से लाल प्याज के भाव अधिक होने के कारण किसानों की इसमें रुचि बढ़ी है।