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Alwar के ब्लड बैंक पर नए जिलों का बोझ, फिर भी तीन ही क्रियाशील

 
Alwar के ब्लड बैंक पर नए जिलों का बोझ,  फिर भी तीन ही क्रियाशील
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  को तोड़कर बनाए गए नए जिले अब भी स्वास्थ्य सुविधाओं को तरस रहे हैं। सरकार ने इन दो नए जिलों की घोषणा तो कर दी, लेकिन आज भी इन जिलों को अलवर का जिला चिकित्सालय ही खून उपलब्ध करवा रहा है। हालांकि जिले के 7 सरकारी अस्पतालों में ब्लड स्टोरज यूनिट है, लेकिन इनमें से खेरली, बानसूर व बहरोड़ की ब्लड स्टोरेज यूनिट ही क्रियाशील है। यहां भी जरूरत पड़ने पर अलवर के सरकारी ब्लड बैंक से ही ब्लड ले जाकर मरीज को चढ़ाया जाता है। ऐसे में मरीजों का पूरा भार अलवर के ब्लड बैंक पर ही है।

नए जिलों में ब्लड बैंक बने तो मिले फायदा: नव गठित जिलो में सरकारी ब्लड बैंक नहीं होने से मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराने में परेशानी आती है। अधिक दूरी के कारण यहां तक आने व जाने में भी काफी समय व्यय होता है। ऐसे में कई बार मरीज को तुरंत ब्लड उपलब्ध नहीं होने पर उसकी जान को खतरा बना रहता है। अलवर के सरकारी ब्लड बैंक की ब्लड स्टोरेज क्षमता करीब 700 से 800 यूनिट है, लेकिन यहां अधिकतम करीब 300 यूनिट ही ब्लड उपलब्ध हो पाता है।

अलवर के सरकारी ब्लड बैंक से रोजाना ब्लड की करीब 30 से 35 यूनिट की खपत हो रही है। जबकि प्रतिदिन करीब 25 यूनिट ही रक्तदान हो रहा है। ऐसे में हर दिन 5 से 7 स्वयं सेवकों की मदद से मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार ब्लड बैंक से हर महीने करीब 100 थैलेसीमिया और 100 कैंसर के मरीजों को प्रति मरीज के हिसाब से 1 से 2 यूनिट ब्लड बिना डोनर के उपलब्ध कराया जा रहा है। नवीन जिलों में ब्लड बैंक बनने पर मरीजों को स्थानीय स्तर पर सुगमता से ब्लड मिल सकेगा। इससे सरकारी अस्पतालों के मरीजों को लाभ मिल सकेगा।