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Alwar सूखी हुई रूपारेल नदी में पौधे लगाकर हरियाली बढ़ाएंगे, यहां लगा रहे ब्लॉक में पौधे

 
Alwar सूखी हुई रूपारेल नदी में पौधे लगाकर हरियाली बढ़ाएंगे, यहां लगा रहे ब्लॉक में पौधे
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर सरिस्का के जंगलों से निकलने वाली रूपारेल नदी लंबे समय से सूखने से अपने अस्तित्व को खोती जा रही है। कम बारिश कारण इस नदी में कई सालों से मानसून के दौरान भी पानी की आवक नही हो सकी है। इस विलुप्त होती नदी को पुनर्जीवित अब पेड़ लगाकर किया जाएगा। वन विभाग की ओर से नदी के किनारे पर पेड़ लगाई जाएंगे। रूपारेल नदी एक ओर वर्षा की कमी से सूख रही है, वहीं दूसरी ओर वन क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद इस नदी के दोनों ओर वृक्षों का नितान्त अभाव होने से इसमें जल की पुन:पूर्ति नहीं हो रही है। इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नदी के दोनो ओर छोटी - छोटी जगहों पर टीओएफआइआर योजना के माध्यम से ब्लॉक प्लांटेशन किए जा रहे हैं।

हले बहती थी बारहमासी

इस नदी का उदगम सरिस्का के जंगल रहा है। नटनी का बारां से इस नदी में पानी की आवक होती है। लोगों का मानना है कि पूर्व में यह नदी साल भर बहती थी, लेकिन पिछले कुछ दशक से यह मानसून के दौरान भी नहीं चल पाती। इसका बड़ा कारण नदी की लंबे समय से सारसंभाल नहीं हुई, बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण आदि बढ़ना रहा। जड़ जमने तक पानी की व्यवस्था: वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पौधों की जड़ जमने तक पानी की जरूरत होती है। वन क्षेत्र के बाहर लगाए जा रहे पौधों के लिए आसपास क्षेत्र में पानी की व्यवस्था की गई है।

रूपारेल नदी को पुनर्जीवित करने के लिए मुख्य रूप से सालपुर, पूनखर, गूंदपुर, बिचपुरी, भंगोडी, कैरवाजाट आदि ग्रामों में वृक्षारोपण किया गया है। इन पेड़ों के बड़े होने पर नदी के दोनों ओर स्थित इन ब्लॉक प्लांटेशन में वर्षा के दौरान वृक्ष अपनी जडों में जल संचय कर सकेगें एवं शुष्क ऋतु आने पर इस संचित जल से रूपारेल नदी में पुन:पूर्ति करेगें। इससे आगामी समय में रूपारेल नदी के पुर्नजीवित होने की उम्मीद है।  रूपारेल नदी के किनारे ब्लॉक प्लांटेशन का कार्य जारी है। इससे नदी को पुनर्जीवित करने में सहायता मिलेगी।