Alwar 20 हजार निर्धन परिवारों को यूआईटी और नगर निगम नहीं दे पाए आवास
सुविधाओं को तरस रही कच्ची बस्तियां
वर्ष 2001 में मास्टर प्लान तैयार किया गया था। उस समय शहर में वार्डों की संया 35 थी। कच्ची बस्तियां 16 ही थी। वर्ष 2019 में वार्डों का परिसीमन हुआ। वार्ड बढ़कर 65 हो गए। इन बस्तियों में वर्ष 2001 में करीब 14 हजार परिवार थे, जो आज बढ़कर 20 हजार से ज्यादा हो गए। इन बस्तियों में आबादी 60 हजार से ज्यादा है। योजना थी कि इन बस्तियों को लैट बनाकर दिए जाएंगे। इस पर यूआईटी व नगर निगम को सर्वे करके काम करना था। लैट बनाने से बस्तियों का आकार कम होता और सुविधाएं बढ़ती। लैट का पट्टा मिलता, लेकिन योजना को धरातल पर नहीं उतारा गया। पार्षद इन बस्तियों में सुविधाओं को लेकर आए दिन नगर निगम व यूआईटी के चक्कर काट रहे हैं।
जितनी जमीन, उतना ही हक
नगर निगम से सेवानिवृत्त इंजीनियर विवेक कुमार का कहना है कि यदि लैट बनाए जाएंगे तो जनता की सुविधाएं बढ़ जाएंगी। एरिया खूबसूरत हो जाएगा। कच्ची बस्तियों के लोगों को पट्टा मिल जाएगा। जिसके पास जितनी जमीन है, उसी के हिसाब से उन्हें हक दिया जाना चाहिए। संबंधित विभाग को योजना धरातल पर उतारनी चाहिए, ताकि परिवारों को समय पर लाभ मिल सके। इस तरह की योजनाएं भविष्य में बनाकर समय पर पूरा किया जाना चाहिए।